Thursday, 16 May 2019

लाज



लाज 

लुट रही है लाज 
बहन बेटियों की
बाप के सामने 
एक पत्ता नहीं खडकता
कोई आवाज नहीं 
गूंगी बहरी दिल्ली
अब अंधी भी हो गई है
शहंशाह जोश में है
कलम- आवाज सब
सत्ता के पास गिरवी है
दु:शासन अट्टहास कर रहा है..        नमन


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प्रेम आ रहा था
उनकी राजनीति के आडे़
सो उन्होंने
बड़ी चालाकी से
पहले 
प्रेम को नाजायज ठहरा दिया
फिर कर दी गई
प्रेम की हत्या
पिछले दंगों में
उसके पिछले दंगों में
उसके भी पिछले दंगों में
पर यह बिरवा
फिर फिर उग आता है
मनुष्य के हृदय में...            नमन

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