2019 के आम चुनाव मे भ्रष्टाचार और परिवारवाद की भूमिका
आज की राजनीति में भ्रष्टाचार अब कोई मुद्दा नहीं है वरना आँध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी की इतनी बड़ी जीत नहीं हुई होती । राजनैतिक जीवन में भ्रष्टाचार अगर मुद्दा होता तो देश की जनता लोकपाल की नियुक्ति नहीं करने के लिए मोदी जी को नकार देती ।
मध्य प्रदेश का 'व्यापम घोटाला' जिसमें 50 से ज्यादा जाने गई और बीजेपी के मंत्री जेल भी गए जनता की नज़र मे कोई मुद्दा नहीं है? पनामा और पैराडाइज पेपर में जिन लोगों के नाम हैं उन पर 5 वर्ष में मोदी जी ने कोई कार्रवाई नहीं की। मोदी शासन मे घटालेबाज़ों और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई ।
सहारा, बिरला डायरी से लेकर येदुरप्पा डायरी तक में खुद प्रधानमंत्री के नाम है फिर कैसे कहा जाए कि प्रधानमंत्री भ्रष्टाचारी नहीं हैं ।
राजस्थान का खान घोटाला जिसमें कोर्ट ने वसुंधराराजे सिंधिया से पूछा था कि सब पहाड़ कहां गए बताइए से लेकर रमन सिंह का अनाज घोटाला, रेड्डी बंधुओं का खान घोटाला, मोदी जी का गुजरात गैस घोटाला और आनंदीबाई बेन जमीन घोटाला... घोटालेबाज मंत्रियों के नाम लेते लेते मैं थक जाऊंगा परंतु इन घोटालों के बावजूद जनता ने मोदी जी को वोट दिया ।
महालेखा परीक्षक से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक को पता है कि राफ़ेल ख़रीद में घोटाला हुआ है वरना लगभग ६५० करोड़ का राफ़ेल लगभग १६०० करोड़ में ख़रीदने का क्या औचित्य है।
वहीं डॉ मनमोहन सिंह सरकार द्वारा भ्रष्टाचार मे जिन लोगों पर कार्यवाही हुयी थी मोदी शासन के 5 वर्षों मे उन 2जी और कोयला घोटाले के आरोपियों को अदालत और सीबीआई ने क्लीन चिट दे दी और साबित कर दिया की कोई घोटाला नहीं हुआ था ।
इन चुनावो मे परिवारवाद भी कोई मुद्दा नहीं बना वरना ओड़ीसा मे पटनायक, आंध्रप्रदेश मे जगनमोहन रेड्डी सत्ता मे नहीं आते। 2019 के आम चुनावों मे बिहार का पासवान परिवार, पंजाब का बादल परिवार, हिमांचल मे धूमिल परिवार, राजस्थान मे वसुंधरा राजे परिवार, महाराष्ट्र मे मुंडे -महाजन परिवार, विखे पाटिल परिवार, शिंदे परिवार, उत्तर प्रदेश मे मुलायम परिवार, मेनका गांधी परिवार आदि के लोग चुने गए।
इन आम चुनावों मे अगर बेरोजगारी, किसानो की आत्महत्या, बलात्कार , बंद होते उद्योग धंधे, आर्थिक मंदी, नोट बंदी, बैंको का लगभग 12 लाख करोड़ का एनपीए, जीएसटी आदि कोई मुद्दा नहीं बना तो इसका श्रेय पूरी तरह से गोदी मीडिया को जाता है जो मानसिकरूप से पंगु हो गया है और सरकार का भाँट बन कर रह गया है।
BJP , RSS , मीडिया, चुनाव आयोग, धन शक्ति और बाहुबल.... ने मिलकर इन चुनावों में कांग्रेस को हराया है । कांग्रेस संगठन और कांग्रेस नेताओं ने अपने नेता राहुल गांधी अगर 50 प्रतिशत भी साथ दिया होता तो कांग्रेस कम से कम 120 सीट जीतती ।
BJP और RSS ने बड़ी चालाकी से कांग्रेस को हिंदू विरोधी साबित कर दिया और यह प्रचार किया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो न तो देश सुरक्षित रहेगा और न देश का हिंदू सुरक्षित रहेगा । लोगों मे असुरक्षा की भावना पैदा करके उन्हे डराया गया । देश की सुरक्षा और हिन्दुओं की सुरक्षा के डर से पिछड़ी जातियों और ग्रामीण जनता ने BJP वोट किया।
देश की जनता में असुरक्षा की भावना निर्माण करने में BJP सफल रही और ऐसे में उन्हें मोदी जी एक मात्र नेता नज़र आए जो देश को सुरक्षित रख सकते हैं । मीडिया के द्वारा क्षद्म राष्ट्रवाद के प्रचार ने बीजेपी को इन चुनावों मे जीत दिलाई ।
अगर एक लाइन में कहें तो गोदी मीडिया, धन बल , सरकार बल, चुनाव आयोग बल आदि का उपयोग करके BJP ने इन चुनावों में अपने झूठ को सच साबित किया और उसी छल के बल पर चुनाव जीता.
'नमन'
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