मोदी जी देश के 'भूतो न भविष्यति' प्रधानमंत्री हैं.
विपक्ष में थे तो चीन और पाकिस्तान को 56 इंच का सीना दिखाते थे लाल लाल आंखें दिखाते थे, सत्ता में आते ही ताजपोशी में दोनों के राष्ट्राध्यक्ष को बुला लिया. लगे झूला झुलाने, बिरयानी खाने, साड़ी और शाल लेने देने. यू टर्न की इससे उम्दा मिसाल आपने कभी देखी नहीं होगी. इतनी तेजी से तो गिरगिट भी रंग नहीं बदलता.
गद्दी पर बैठते ही फरमान जारी हुआ कि देश की अर्थव्यवस्था अत्यंत खराब है. फिर पड़ोसी देशों की यात्रा पर निकल पड़े. किसी को कुछ हजार करोड़ दिया तो किसी को कुछ हजार करोड़. देश की खराब अर्थव्यवस्था में से कितना हजार करोड़ और निकाल कर उन्हें देश की अर्थव्यवस्था का भट्ठा बैठा दिया यह भी शोध का विषय है.
फिर उन्होंने मुड़कर देश की तरफ देखा और पाया की आधार, एफडीआई, जीएसटी, मनरेगा जैसी जिन योजनाओं को कोसते हुए वे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं, वह अत्यंत लाभकारी योजनाएं हैं. सो उन्होंने उन्हें लागू करने का जिम्मा अपने सर पर लिया जिसका विरोध करते हुए वे दिल्ली पहुंचे थे. लुब्बे लुवाब यह है की 8 से 10 वर्ष बाद मोदी जी के दिमाग की बत्ती जली और उन्हें यह समझ में आ गया कि कांग्रेस की तमाम योजनाएं देश के लिए अत्यंत उपयोगी हैं. सो अधिकांश योजनाओं का श्रेय लेने के चक्कर में उन्होंने उनके नाम बदल डाले.
8 नवंबर की शाम उन्हें झटका लगा कि नोटबंदी करके न केवल कालाधन खत्म किया जा सकता है बल्कि नक्सलवाद और आतंकवाद का समूल नाश किया जा सकता है. सो उन्होंने नोटबंदी करते हुए घोषणा की 31 दिसंबर तक देश से आतंकवाद और नक्सलवाद का समूल नाश करने की घोषणा की.
अनुभवहीनता के कारण नक्सलवाद और आतंकवाद का खात्मा होना तो दूर रहा उल्टा बैंक की लाइनों में कई दर्जन लोग स्वर्गवासी हो गए. ग्रामीण भारत में लोगों की शादियां रुक गई , किसानों के पास खाद खरीदने के लिए पैसे नहीं थे, छोटे उद्योगों को मजदूरों को दिहाड़ी देने के लिए नकदी उपलब्ध नहीं थी, सो देश की अर्थव्यवस्था का भट्ठा बैठ गया. मोदी जी के आंकड़ों में हेरफेर के बावजूद भी जीडीपी के गिरे हुए आंकड़े या बता रहे थे कि नोटबंदी दरअसल नोटबंदी नहीं व्यापार बंदी साबित हुई थी. बाबा रामदेव से लेकर कितने ही अन्य लोगों का कहना है कि नोटबंदी स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला है. मोदी सरकार की बुद्धिमत्ता और दूरदृष्टि की वजह से 60 दिनों में लगभग 55 बार नोटबंदी के बदले गए.
नोट बंदी के गलत क्रियान्वयन की वजह से एक करोड़ से ज्यादा नौकरियां चली गई. मोदी जी ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ दी.
अब आई जीएसटी लगाने की बारी. कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित इस योजना को मोदी जी ने इतने गलत ठंड से लागू किया की उद्योगों और व्यवसायों को जबरदस्त आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा.
लगभग डेढ़ साल की उठापटक के बाद अब यह टैक्स रिफॉर्म सही रास्ते पर आता दिखाई पड़ता है.
महबूबा के प्रेम में मोदी जी ने कश्मीर को पुनः आतंकवाद की गहरे खाई में ढकेल दिया. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कहा करते थे कि कश्मीर में आतंकवाद सिर्फ साडे तीन जिलों में है परंतु मोदी शासन में वह पूरे कश्मीर में फैल गया.
मोदी जी नवाज शरीफ की बिरयानी खाते रहे और पाकिस्तान सरकार उरी और पठानकोट से लेकर पुलवामा तक आतंकी हमले करवाती रही. यह मोदी जी की विदेश नीति की एक बहुत बड़ी असफलता थी.
भ्रष्टाचार के खात्मे की बात करते हुए बीजेपी दिल्ली में सत्ता में आई और 5 साल तक उन्होंने लोकपाल नियुक्त नहीं होने दिया क्योंकि वे जानते थे कि अगर लोकपाल नियुक्त हो गया तो मोदी जी की आधी केबिनेट जेल में होगी. यह साबित करता है कि मोदी जी के खाने के दांत और है और दिखाने के और.
राफेल घोटाला, व्यापम घोटाला, खान घोटाला, कुंभ घोटाला, पनामा और पैराडाइज पेपर, सहारा और बिड़ला डायरिया, ललित मोदी, नीरव मोदी, माल्या़ आदि मोदी सरकार के भ्रष्टाचार के प्रतीक बन कर रह गए हैं.
विपक्ष में थे तो चीन और पाकिस्तान को 56 इंच का सीना दिखाते थे लाल लाल आंखें दिखाते थे, सत्ता में आते ही ताजपोशी में दोनों के राष्ट्राध्यक्ष को बुला लिया. लगे झूला झुलाने, बिरयानी खाने, साड़ी और शाल लेने देने. यू टर्न की इससे उम्दा मिसाल आपने कभी देखी नहीं होगी. इतनी तेजी से तो गिरगिट भी रंग नहीं बदलता.
गद्दी पर बैठते ही फरमान जारी हुआ कि देश की अर्थव्यवस्था अत्यंत खराब है. फिर पड़ोसी देशों की यात्रा पर निकल पड़े. किसी को कुछ हजार करोड़ दिया तो किसी को कुछ हजार करोड़. देश की खराब अर्थव्यवस्था में से कितना हजार करोड़ और निकाल कर उन्हें देश की अर्थव्यवस्था का भट्ठा बैठा दिया यह भी शोध का विषय है.
फिर उन्होंने मुड़कर देश की तरफ देखा और पाया की आधार, एफडीआई, जीएसटी, मनरेगा जैसी जिन योजनाओं को कोसते हुए वे प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे हैं, वह अत्यंत लाभकारी योजनाएं हैं. सो उन्होंने उन्हें लागू करने का जिम्मा अपने सर पर लिया जिसका विरोध करते हुए वे दिल्ली पहुंचे थे. लुब्बे लुवाब यह है की 8 से 10 वर्ष बाद मोदी जी के दिमाग की बत्ती जली और उन्हें यह समझ में आ गया कि कांग्रेस की तमाम योजनाएं देश के लिए अत्यंत उपयोगी हैं. सो अधिकांश योजनाओं का श्रेय लेने के चक्कर में उन्होंने उनके नाम बदल डाले.
8 नवंबर की शाम उन्हें झटका लगा कि नोटबंदी करके न केवल कालाधन खत्म किया जा सकता है बल्कि नक्सलवाद और आतंकवाद का समूल नाश किया जा सकता है. सो उन्होंने नोटबंदी करते हुए घोषणा की 31 दिसंबर तक देश से आतंकवाद और नक्सलवाद का समूल नाश करने की घोषणा की.
अनुभवहीनता के कारण नक्सलवाद और आतंकवाद का खात्मा होना तो दूर रहा उल्टा बैंक की लाइनों में कई दर्जन लोग स्वर्गवासी हो गए. ग्रामीण भारत में लोगों की शादियां रुक गई , किसानों के पास खाद खरीदने के लिए पैसे नहीं थे, छोटे उद्योगों को मजदूरों को दिहाड़ी देने के लिए नकदी उपलब्ध नहीं थी, सो देश की अर्थव्यवस्था का भट्ठा बैठ गया. मोदी जी के आंकड़ों में हेरफेर के बावजूद भी जीडीपी के गिरे हुए आंकड़े या बता रहे थे कि नोटबंदी दरअसल नोटबंदी नहीं व्यापार बंदी साबित हुई थी. बाबा रामदेव से लेकर कितने ही अन्य लोगों का कहना है कि नोटबंदी स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा आर्थिक घोटाला है. मोदी सरकार की बुद्धिमत्ता और दूरदृष्टि की वजह से 60 दिनों में लगभग 55 बार नोटबंदी के बदले गए.
नोट बंदी के गलत क्रियान्वयन की वजह से एक करोड़ से ज्यादा नौकरियां चली गई. मोदी जी ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ दी.
अब आई जीएसटी लगाने की बारी. कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित इस योजना को मोदी जी ने इतने गलत ठंड से लागू किया की उद्योगों और व्यवसायों को जबरदस्त आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा.
लगभग डेढ़ साल की उठापटक के बाद अब यह टैक्स रिफॉर्म सही रास्ते पर आता दिखाई पड़ता है.
महबूबा के प्रेम में मोदी जी ने कश्मीर को पुनः आतंकवाद की गहरे खाई में ढकेल दिया. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह कहा करते थे कि कश्मीर में आतंकवाद सिर्फ साडे तीन जिलों में है परंतु मोदी शासन में वह पूरे कश्मीर में फैल गया.
मोदी जी नवाज शरीफ की बिरयानी खाते रहे और पाकिस्तान सरकार उरी और पठानकोट से लेकर पुलवामा तक आतंकी हमले करवाती रही. यह मोदी जी की विदेश नीति की एक बहुत बड़ी असफलता थी.
भ्रष्टाचार के खात्मे की बात करते हुए बीजेपी दिल्ली में सत्ता में आई और 5 साल तक उन्होंने लोकपाल नियुक्त नहीं होने दिया क्योंकि वे जानते थे कि अगर लोकपाल नियुक्त हो गया तो मोदी जी की आधी केबिनेट जेल में होगी. यह साबित करता है कि मोदी जी के खाने के दांत और है और दिखाने के और.
राफेल घोटाला, व्यापम घोटाला, खान घोटाला, कुंभ घोटाला, पनामा और पैराडाइज पेपर, सहारा और बिड़ला डायरिया, ललित मोदी, नीरव मोदी, माल्या़ आदि मोदी सरकार के भ्रष्टाचार के प्रतीक बन कर रह गए हैं.
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