Thursday 24 May 2018

नशा

     - नशा -

कैसे जी सकता है कोई 
दूर- दूर तक फैले रेगिस्तान सी
उदास ज़िंदगी 
मायूस सुबह
थकी हुयी शाम
और सिसकती रात
कोई नशा तो हो
जिसके सहारे काट सकें
हम यह पहाड़ सी ज़िन्दगी
सो हमने थाम लिया
मोहब्बत का दामन .....    'नमन'

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