Saturday, 23 September 2017

मंहगाई


बीजेपी सरकार ने पिछले साढे 3 साल में और कुछ किया हो कि नहीं किया हो पर एक काम किया है. वह जनता को यह समझाने में सफल रही है कि बढ़ते हुए टैक्स का बोझ, बढ़ता हुआ रेलगाड़ी किराया, बढ़ता हुआ पेट्रोल का दाम, बढ़ता हुआ बिजली का बिल , बढ़ती हुई महंगाई जनता के हित में है.
बीजेपी नेता कहते हैं कि इस बढ़े हुए टैक्स से हम सड़कों का विकास, रेलवे का विकास, बिजली और पानी जैसी सुविधाएं मुहैया करने का काम करेंगे.
तर्क इस ढंग से दिए जाते हैं जैसे कांग्रेस शासन में जनता को बेहतर रेल सेवाओं की जरूरत नहीं थी, ना तो बेहतर सड़कों की जरूरत थी. कांग्रेस शासन में जनता को पेयजल और बिजली जैसी सुविधाओं की भी कोई जरूरत नहीं थी.
बीजेपी के यही नेता 2014 तक पेट्रोल का दाम रू.1 बढ़ने पर सड़क पर आ जाते थे, सब्जियों या प्याज के दाम बढ़ने पर रास्ता रोको करते थे, उन्होंने आंदोलन करके ट्रेन का किराया 10 साल तक नहीं बढ़ने दिया, आंदोलन करके जीएसटी को 6 साल तक लागू नहीं होने दिया.
कांग्रेस शासन में रोड बनाने के लिए, रेल के विकास के लिए, लोगों को बिजली -पानी देने के लिए सरकार को पैसे की जरुरत नहीं थी तब पैसे पेड़ों पर लगते थे और आसमान से टपकते थे.
सत्ता मे आने पर बीजेपी नेताओं के ज्ञान चक्षु खुले और उन्हे लगने लगा कि कांग्रेस सरकार जनता से बहुत कम टैक्स लेती है अतः उन्होंने जनता पर और टैक्स लगा दिया.
उन्हें लगा कि रेल किराया अत्यंत कम है अतः 70% से ज्यादा रेल किराया बढ़ा दिया.
उन्हें लगा कि कांग्रेस सरकार पेट्रोल सस्ते में बेच रही थी अतः उन्होंने पेट्रोल पर टैक्स दोगुना कर दिया.
दाल 200 रु किलो में बेची, बिजली का भाव बढ़ा दिया.
किसी शायर ने क्या खूब कहा है,
" देश का बोझ उन पर ही सही
देश बन के बोझ से दोहरा हुआ"
बढ़ते डीजल और बिजली के दामों ने किसानों की कमर तोड़ दी है, उद्योगों की उत्पादन लागत बढ़ा दी,
सारे राज्यों की परिवहन सेवाएं और रेलवे घाटे में चले गए, राज्य सरकारों पर खर्च का अतिरिक्त बोझ बढ गया.  लेकिन सरकार को सावन के अंधे की तरह हर तरफ हरा भरा ही दिखाई दे रहा है.
मैं कोई अर्थशास्त्री नहीं हूं मगर मेरी समझ से केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर जितना टैक्स पिछले 3 साल में बढ़ाया है वह अगर कम कर दे तो देश में पेट्रोल लगभग 50 रु लीटर और डीजल लगभग 40 रु लीटर में बिकने लगेगा.
इससे भारतीय रेेल के ईंधन के खर्च में हजारों करोड़ रुपए कमी आएगी और भारतीय रेल का घाटा खत्म होकर भारतीय रेल प्रॉफिट में आ जाएगी .
 खर्च घटने से देश के सारे प्रदेशों के रोडवेज जो घाटे में चल रहे हैं वह मुनाफे में आ जाएंगे.
इससे राज्य सरकारों का खर्च हजारों करोड़ रुपया सालाना कम हो जाएगा और जो राज्य सरकारे कर्ज के बोझ तले दबी हैं उन्हें राहत मिलेगी.
इससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को और सारे उद्योगों को राहत मिलेगी और उत्पादन खर्च कम हो जाएगा, जिससे हमारे उद्योग विदेश में अपना निर्यात बढ़ा सकेंगे और अतिरिक्त विदेशी मुद्रा भारत सरकार को मिल सकेगा.
मगर मुझे पता है कि यह सरकार ऐसा कुछ नहीं करने वाली है क्योंकि पिछले 50 साल का यह रिकॉर्ड रहा है कि BJP नेताओं को अकल देर से आती है.
नमन 

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