Monday, 10 July 2017

आधी रात के बाद


घर कच्चे थे, सड़कें कच्ची पर ईमान के पक्के थे
मेरे दादा, बाबा, काका सब जुबान के पक्के थे.
महलों में रहने वाले धनपशु ईमान के कच्चे हैं
भूख गरीबी और बीमारी इनके नाजायज बच्चे हैं.
नमन

- आधी रात के बाद -
सबसे पहले बिका था
सरकारी अधिकारियों का ईमान
वो भी बहुत सस्ता
चंद सिक्कों में
बिकता था वह...
फिर बिकी
नेताओं की आत्मा
खुले आम
सड़को, गलियों,चौराहों
संसद और विधान सभाओं में ...
फिर चुपके से
बिना शोर शराबे के बिका
समाचार
खरीद लिया उसे
धनपशुओं ने ...
अंत में
बोली लगायी गई
बची खुची
आशा की किरण
न्यायतंत्र की...
आम आदमी के जीवन में
बचा है
सिर्फ अंधेरा
आखिर रात के १२ बजे
अँधेरे में पैदा हुआ था
मेरा देश !
'नमन'

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