हवा महल
1 जुलाई 2017 से जीएसटी पूरे देश में लागू होने जा रहा है परंतु जीएसटी को लेकर पूरे देश का मीडिया खामोश बना हुआ है .
क्या आपने जीएसटी पर न्यूज़ चेनलो में कोई बहस होते हुए देखी है ?
क्या आपने जीएसटी पर न्यूज़ चेनलो में कोई बहस होते हुए देखी है ?
देश का कर ढांचा आमूलचूल ढंग से बदल रहा है लेकिन न्यूज़ चैनलो पर कोई चर्चा नहीं, कहीं कोई विचार-विमर्श नहीं. जीएसटी की अच्छाइयों और कमियों पर विस्तार में चर्चा होनी जरूरी थी और है.
देश के बहुत से हिस्सो मे जीएसटी को लेकर व्यापारी संगठनों ने बंद रखा , लोकल अखबारों ने उस पर रिपोर्टिग की है, लेकिन राष्ट्रीय परिदृश्य से यह खबर गायब है कि क्यों व्यापारी इसका विरोध कर रहे हैं.
कभी कभी सत्य और धारणा में जमीन आसमान का अंतर होता है .
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अपने विजुअल प्रभाव की वजह से लोगों की धारणाएं बनाने का काम करती है अक्सर यह धारणाएं सत्य से परे होती हैं.
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अपने विजुअल प्रभाव की वजह से लोगों की धारणाएं बनाने का काम करती है अक्सर यह धारणाएं सत्य से परे होती हैं.
दरअसल मीडिया में इतनी ताकत होती है कि वह किसी भी मसले को हमारे दिमाग में भर दे.
हिंदुत्व, छद्म राष्ट्रवाद, गाय और बीफ, रोहित बेमुला, JNU, कश्मीर आदि घटनाओं का उपयोग करके देश की समस्याओं से जनता का ध्यान हटाना और गैर जरूरी बातों पर चर्चा करके जनमत तैयार करना जैसे काम आज की मीडिया कर रही है.
नोटबंदी से कालाधन,नक्सलवाद और आतंकवाद का खात्मा करने की बात करने वाली मोदी सरकार नोटबंदी के 8 महीने बाद तक नोटबंदी से आए हुए रुपए नहीं गिन पाती है. हमारे लोकतंत्र का इतना बड़ा मजाक और क्या हो सकता है?
स्वछता अभियान में लगभग ढाई करोड़ शौचालय बनाने की बात मोदी सरकार कर रही है. यह औसतन 40 शौचालय प्रति गांव होता है. देश के किस गांव में 40 शौचालयों का निर्माण हुआ क्या कोई भक्त मुझे बता सकता है.
प्रतिवर्ष दो करोड़ नौकरियां देने का वादा करने वाली मोदी सरकार प्रतिवर्ष दो लाख नौकरियां देने में भी असफल रही है. परंतु मीडिया में इस बात पर कहीं कोई चर्चा नहीं होती.
विदेशी निवेश के लिए भीख मांगते हुए मोदी सौ से ज्यादा देश घूम आए हैं परंतु अब तक वास्तविक विदेशी पूंजी निवेश कितना हुआ है इसका कोई आंकड़ा रिजर्व बैंक तक के पास नहीं है.
देश की वास्तविकताओं से परे मीडिया लोगों को हिंदुत्व, लव जेहाद, बीफ, पाकिस्तान जैसी बातों में उलझाकर सरकार की मुश्किलें आसान कर रहा है.
देश की प्रगति की जो हवाई बातें मीडिया लगातार कर रहा है उससे मुझे अकबर बीरबल का एक किस्सा याद आता है .
अकबर ने बीरबल से कहा कि क्या हवाई महल बन सकता है ?
बीरबल ने कहा क्यों नहीं हुजूर, बिल्कुल बन सकता है
अकबर ने कहा तो फिर आप निर्माण शुरू करिए. बीरबल ने कहा हुजूर तैयारी के लिए 10हजार मोहरें खजाने से देने का इंतजाम करिए.
10 हजार मोहरें लेकर और कुछ महीने तैयारी के लिए छुट्टी लेकर बीरबल महल से घर चले आते हैं.
बीरबल ने दूर दूर से तोते पकड़ने वालों को बुलाया और उनसे तोते खरीद कर उन्हें तोतों को, " ईंटा लाओ-गारा लाओ, महल बनाओ" बोलने की ट्रेनिंग दी.
अकबर ने बीरबल से कहा कि क्या हवाई महल बन सकता है ?
बीरबल ने कहा क्यों नहीं हुजूर, बिल्कुल बन सकता है
अकबर ने कहा तो फिर आप निर्माण शुरू करिए. बीरबल ने कहा हुजूर तैयारी के लिए 10हजार मोहरें खजाने से देने का इंतजाम करिए.
10 हजार मोहरें लेकर और कुछ महीने तैयारी के लिए छुट्टी लेकर बीरबल महल से घर चले आते हैं.
बीरबल ने दूर दूर से तोते पकड़ने वालों को बुलाया और उनसे तोते खरीद कर उन्हें तोतों को, " ईंटा लाओ-गारा लाओ, महल बनाओ" बोलने की ट्रेनिंग दी.
कुछ महीनों बाद बीरबल अपने तोतों के साथ वापस अकबर से मिलने पहुंचे. अकबर ने उनसे पूछा कि हवा महल बनाने का काम कब शुरु होगा?
तब बीरबल अपने सेवकों को तोतों को पिंजरे से आज़ाद करने की आज्ञा दी. पिंजरे से निकलकर तोते "ईंटा लाओ-गारा लाओ, महल बनाओ " रटते हुए पूरे महल में उड़ने लगे.
अकबर ने बीरबल से पूछा कि यह क्या है? बीरबल ने कहा- हवा महल बन रहा है हुजूर.
अकबर ने बीरबल से पूछा कि यह क्या है? बीरबल ने कहा- हवा महल बन रहा है हुजूर.
ऐसे ही मोदी जी और मीडिया मिलकर पिछले 3 साल से भारतीय जनता को हवामहल का सपना दिखाकर बेवकूफ बना रहे हैं.
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