Friday 7 April 2017

हाय! ये इश्क़ की मजबूरिया



हर सुबह इस आस में पूछा किए उसका मिजाज 
जाने किस दिन यार मेरा दे मोहब्बत का जवाब.

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हाय! ये इश्क़ की मजबूरिया
पास हो तुम मगर ये दूरिया।


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मुस्कुराकर न यूं मिला कीजे
थोड़ा सा दूर ही रहा कीजे.
दिल मेरा आप पर ना आ जाए
इतना मत सजा और संवरा कीजे.
अब मोहब्बत नहीं करता कोई
आप भी थोड़ी सी दगा कीजे.
आपके बिन न दिल मेरा धड़के
बेवजह इतना मत वफ़ा कीजे.
आप की आँखों में ख्वाब मेरे हो
इतना भी मत हमें चाहा कीजिए.
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एक खतरा उठा रहा हूँ मैं
उससे नज़रें मिला रहा हूँ मैं.
उसके लाखों हैं चाहने वाले
फिर भी किस्मत लड़ा रहा हूँ मैं.
जंग की बात करते हैं जाहिल
मोहब्बत आजमा रहा हूँ मैं .
मैं जानता हूँ हारना ही है
दाँव पर दिल लगा रहा हूँ मैं .
वो मुझे चाहे या की न चाहे
उसके ही गीत गा रहा हूँ मैं.
'नमन'

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