कांग्रेस ने २००४ से २०१४ के अपने केंद्र के शासन काल में जितना अच्छा काम किया वह कोई सरकार दोहरा नहीं सकती। कमी रही अपने काम को जनता तक न पहुचा पाने की।
डॉ मनमोहन सिंह हिंदी ढंग से नहीं बोल पाते , सोनिया जी हिंदी अच्छी तरह से नहीं बोल पाती। यहाँ तक तो ठीक था पर न तो लोक सभा में सदन के नेता और न तो राज्य सभा में सदन के नेता हिंदी के अच्छे वक्ता थे.
जिस देश की ९० % जनता हिंदी समझती है वहां कांग्रेस के पास ४ मुख्य पदों पर एक भी हिंदी को प्रभावी ढंग से बोल पाने वाला नेता नहीं रहा।
१० साल लगातार यह शून्य बना रहा।
कांग्रेस ने अच्छे प्रवक्ताओं की टीम भी नहीं बनायीं। ऐसा नहीं है की कांग्रेस के पास हिंदी के अच्छे वक्ताओं की कमी है। पर उनका सही उपयोग नहीं किया गया। जिसका फल कांग्रेस भुगत रही है।
राजीव गाँधी की तरह राहुल गाँधी भी सत्ता के लिए लालायित नेता नहीं हैं। राहुल चाहते तो उन १० सालों में न केवल केंद्रीय मंत्री रह सकते थे बल्कि अगर चाहते तो प्रधान मंत्री तक बन सकते थे। पर वे संगठन कामों में लगे रहे। सीखते रहे, कार्यकर्ता की तरह काम करते रहे।
हममें से अधिकतर लोग राहुल गाँधी को कांग्रेस की सारी कमजोरियों का जिम्मेदार मान लेते हैं। जो मेरी निगाह में गलत है। अगर कांग्रेस के NSUI और युवक कांग्रेस संगठनों को छोड़ दे तो बाकी जगह वे कभी किसी निर्णय में टांग अड़ाते नज़र नहीं आये।
विरोधी पार्टियां कांग्रेस के भावी सेनापति पर आक्रमण करती रही हैं, उन्हें पता है की राहुल गाँधी को अयोग्य ठहरा कर ही वे कांग्रेस को पछाड़ सकती हैं। कांग्रेस के अकर्मण्य नेता अगर अपने सेनापति का बचाव नहीं कर सकते तो किसके सहारे वे अपनी भावी जंग लड़ने की तैयारी करेंगे। राहुल गाँधी राजनीती की कुटिलता से उतने परिचित भले न हों पर उनकी सहृदयता, उनकी नीयत पर मुझे किंचित भी संदेह नहीं है।
वह एक ऐसे व्यक्ति और संगठन के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं जिन्हें झूठ बोलने , अफवाहें फ़ैलाने , भय और भ्रम की राजनीती करने में निपुणता हासिल है। जिनकी नीति , नीयत और काबिलियत हमेशा से संदेह के घेरे में रही है।
कांग्रेस इस देश की धमनियों में रक्त की भांति व्याप्त है। उसे ऑक्सीजन देकर ही इस देश को बचाया, बढ़ाया और बनाया जा सकता है। कांग्रेस के सिपाहियों के लिए यह परीक्षा का समय है। वे अगर इस परीक्षा में पास नहीं होंगे तो स्वर्ग में बैठी स्वन्त्रता संग्राम के शहीदों की आत्मा उन्हें कभी माफ़ नहीं करेगी।
कांग्रेस के सिपाहियों के लिए सन्देश -
युद्ध कर - युद्ध कर - युद्ध कर
जीत का वर नहीं- हार का डर नहीं
काल भी हो सामने तो उससे दो दो हाथ कर।
युद्ध कर - युद्ध कर - युद्ध कर।
घना अंधकार है, देश की पुकार है
ले मशाल क्रांति की, अंधेरों पे वार कर।
जाति वाद - प्रान्त वाद और धर्म का विवाद
देश में लगे हुए , घुनों पर प्रहार कर।
युद्ध कर - युद्ध कर - युद्ध कर।
'नमन'
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन डॉ. अमरनाथ झा और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteशुक्रिया भाई हर्षवर्धन जी. नमन आपका आभारी है.
Deleteशुक्रिया भाई हर्षवर्धन जी. नमन आपका आभारी है.
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