अच्छे लोग
अच्छी किताब की तरह
होते हैं
वे जिल्द देख कर
समझ में नहीं आते
उन्हें बार-बार
पढ़ना पड़ता है !
'नमन'
अच्छी किताब की तरह
होते हैं
वे जिल्द देख कर
समझ में नहीं आते
उन्हें बार-बार
पढ़ना पड़ता है !
'नमन'
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सत्ता के मद में
लाल-लाल हुए चेहरे
नीले पड़ जाते हैं
आईना देख कर
अंध भक्तों को
आंखों की जरूरत है
चक्षु विहीन भक्त
अपने अग्यान को
सत्य समझ कर
खुश हैं
जबकि
नंगा राजा
ढकेल रहा है
अंधो को
अंध कूप की तरफ....
कबीर ने ठीक ही कहा था
जाका गुरु हो आंधला चेला खरा निरंध
अंधे अंधा ठेलिया दोनों कूप पडंत.
नमन
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कभी अकेले में आईने में निहारा करिए
आंखो आंखो में खुद ही खुद को इशारा करिए.
जब कोई पास न हो खुद को संवारा करिए,
खुद से मिलने की जहमत तो गवारा करिए. नमन
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आँखों में जिसके ख्वाब पाले थे
उसीने आँखें फेर ली हमसे। ‘नमन’
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तू दुवा कर कि मेरी याददाश्त खो जाए
तेरे बिछुड़ने गम से निजात हो जाए। ‘नमन’
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वतन पर मरने वालों को ये उनका हक नहीं देते
आज कल लोग शहीदों को इज्ज़त तक नहीं देते. 'नमन'
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कसूर मेरा था और उसने सजा खुद को दी
इस तरह हमसे निभाई है मोहब्बत उसने. नमन
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