Friday, 11 November 2016

               बत्ती देर से जली रे 
# 8 नवंबर रात 8 बजे, बकलम खुद मोदी जी - आज रात 12बजे के बाद 500और 1000के नोट रद्दी हो जाएंगे..... देश में हडकंप.
# सबके पास थोडा बहुत 500और 1000रू के नोट हैं. रात को सोना ५० हज़ार रु तोले तक बिका.
# 24 घंटे बाद जेटली- प्रति व्यक्ति ढाई लाख रू तक के 500 और 1000 के नोट बैंक में जमा करने पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. उससे जादा जमा करने पर बैंक उसकी सूचना इनकम टैक्स विभाग को देंगे और उन पर टैक्स के साथ पेनाल्टी देना होगा. 
सरकारी आंकड़े-
·        ५०० और १००० रु के रिज़र्व बैंक द्वारा छपे सब नोट लगभग १५ लाख करोड़ मात्र.
·        पाकिस्तान से प्रतिवर्ष ३०० से ५०० करोड़ के नकली नोट भारत आते हैं.
·        जनवरी २०१६ में गलती से रिजर्व बैंक द्वारा गलत कागज़ पर छपे ३०,००० करोड़ नोट जारी किये गए.
·        उनमे से केवल ६००० करोड़ रु पिछले ९ महीने में बैंको द्वारा बाज़ार से वापस लेकर रिज़र्व बैंक द्वारा स्क्रैप किये गए.
अब मेरी बात-
·        जब रिजर्व बैंक द्वारा कुल १२ लाख करोड़ के ही ५०० और १०००रु के नोट छपे हैं तो किसी भी समय उसमे से ५०% नोट यानी लगभग ७.५  लाख ५०० और १०००रु के नोट हर समय बैंकों में ही होंगे.
·        इसका मतलब है की बाज़ार में लगभग ७.५  लाख करोड़ के ५०० और १००० रु के नोट ८ नवम्बर २०१६ को थे.
·        सरकार की घोषणा के अनुसार अगर भारत की १३० करोड़ जनसँख्या में से २ % लोग यानी लगभग २.६  करोड़ लोग भी या उनके नाम पर काला धन रखने वाले व्यापारी २.५ लाख रु के ५०० और १००० रु के नोट बैंक में जमा करके उसके बदले में नए नोट ले लेगे तो लगभग ६.५ लाख करोड़ के नोट बदल दिए जायेंगे.
·        अब बाज़ार में बचते हैं सिर्फ ५०,००० से १ लाख करोड़ के नोट जो ८ से ११ नवम्बर के बीच रेल, विमान, सोना, अस्पताल आदि के माध्यम से बैंक पहुँच जायेंगे.
लुब्बे लुवाब ये है की सरकार की वर्तमान कवायद से शायद ही कोई काला धन बाहर आये.
# मुझे बताया गया है की भारत की अर्थ व्यवस्था में प्रतिवर्ष लगभग १०० लाख करोड़ का काला धन पैदा होता है. जो कुल जीडीपी का लगभग ३०% होता है.
# अब उसमे से अगर कुछ हज़ार या एकाध लाख करोड़ का काला धन यदि आप सिस्टम से निकाल भी देते हो तो यह पिछले १२ साल में पैदा हुए काले धन का ०.१०% (एक प्रतिशत के दसवें भाग से भी कम) ही होगा.
# यानी इतना सारा हो हल्ला करके “खोदा पहाड़ निकली चुहिया” वाली कहावत फिर चरितार्थ होगी.
अब मोदी जी के जुमलो और वादों की बात ....
# १०० दिन में विदेश में जमा सारा काला धन देश में लाकर सबके खाते में १५-१५ लाख जमा करने का वादा.
.... अब प्रधान मंत्री मोदीजी कहते हैं मैं नहीं जानता की कितना काला धन विदेशों में जमा है? कुछ ज़मा है भी की नहीं ?
मैं- इसका मतलब चुनाव में मोदी जी ने जान बूझ कर पूरे होशो हवास में देश की जनता से झूठ बोला.
# कांग्रेस शासन में बीजेपी नेता लगातार विदेशों में जमा काला धन के खाता धारकों के नाम सार्वजानिक करने की बात करते थे.
.... अब जेटली जी कहते हैं की अंतरराष्ट्रिय समझौतों के कारण हम विदेशों में जमा धन के खाताधारकों के नाम सार्वजनिक नहीं कर सकते.
मैं – तो क्या सुप्रसिद्ध वकील और बीजेपी के वित्त मामलों के सबसे बड़े विद्वान् जेटली जी इतने मूर्ख हैं की उन्हें अंतरराष्ट्रीय समझौतों की जानकारी नहीं थी जो कांग्रेस सरकार से रोज खाताधारकों के नाम सार्वजनिक करने की मांग करते थे?
# जब विदेश में जमा काला धन की बात झूठ साबित होने लगी और तब भारत में जमा काला धन बाहर लाकर अपनी पीठ थपथपाने की कवायद मोदी जी और जेट्ली जी ने शुरू की. उसमे छोटे छोटे व्यापारियों को इनकम टैक्स अफसरों द्वारा धमकाने के बावजूद मात्र लगभग ६५ हजार करोड़ रु के काले धन की घोषणा व्यापारियों ने की.
.... जेटली जी ने इसे महान उपलब्धि बताया.
मैं-  चिदम्बरम के वित्त मंत्री काल में बिना इनकम टैक्स अधिकारीयों द्वारा सताए और बिना हो हल्ले के इससे जादा रकम के काले धन की घोषणा व्यापारियों ने स्वयं स्फूर्त की थी.

·          अब रिजर्व बैंक द्वारा छपे ३०,००० करोड़ के गलत नोटों को वापस लेने की कवायद में काला धन देश से मिटाने के नाम पर सारे ५०० और १००० के नोट वापस लेने की कवायद मोदीजी कर रहे हैं. यह सिर्फ जनता को गुमराह करने की नयी स्कीम है ऐसी मुझ कम अक्ल की समझ है.
·        अगर आप मुझसे सहमत नहीं हैं तो मैं कहाँ गलत हूँ, कहाँ मैंने फर्जी आकडे दिए हैं, कहाँ गलत जानकारी दी है कृपया जरुर बताएं ताकि मैं अपने अल्प ज्ञान दुरुस्त कर सकूं.
धन्यवाद्
आपका,
‘नमन’

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