गांव भूला- स्वाद भूला
भूला रस और गंध
जीवन भूला, भूल गए हम
अपनो के अनुबंध।
भूला रस और गंध
जीवन भूला, भूल गए हम
अपनो के अनुबंध।
पंडित जी- मुंशी जी भूले
भूले बाबु साब
मास्साब भी भूल गए हम
है सर-मैडम याद।
भूले बाबु साब
मास्साब भी भूल गए हम
है सर-मैडम याद।
चना चबैना सब हम भूले
भूले सत्तू का स्वाद
चना क होरहा,मटरे क छीमी
भूला बथुआ क साग।
भूले सत्तू का स्वाद
चना क होरहा,मटरे क छीमी
भूला बथुआ क साग।
ताल तलैया भूल गए हम
भूला खुरपी हंसिया
भूली ठौकी, भूला पुरवट
भूला हर और जूवा।
भूला खुरपी हंसिया
भूली ठौकी, भूला पुरवट
भूला हर और जूवा।
भूल गए हम मकरा बरधा
भूली करीयई बछिया
भूला अमावट, भूल गए हम
पाही पर की खटिया।
भूली करीयई बछिया
भूला अमावट, भूल गए हम
पाही पर की खटिया।
गुडभेलियहवा आमे क कोंपरि
भूला कैती क पेड
भूला नार और परहा भूला
भूले कटहर बेल।
भूल गए फगुआ और आल्हा
भूल गए चौताल
भूल गए सोहर-लाचारी
नौटंकी और नाच।
भूल गए सब गुडुई कजरी
भूल गए हम जरई
भूल गए हम पेंग पटोहा
भूले कुल्हड़ परई।
( एक लम्बी कविता के कुछ अंश)
नमन
भूला कैती क पेड
भूला नार और परहा भूला
भूले कटहर बेल।
भूल गए फगुआ और आल्हा
भूल गए चौताल
भूल गए सोहर-लाचारी
नौटंकी और नाच।
भूल गए सब गुडुई कजरी
भूल गए हम जरई
भूल गए हम पेंग पटोहा
भूले कुल्हड़ परई।
( एक लम्बी कविता के कुछ अंश)
नमन
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