Monday 3 October 2016

सत्य को लकवा मार गया है



सत्य को लकवा मार गया है झूठ पुष्पित है पल्लवित है न्याय अंधा और अन्याय प्रतिष्ठित है गाँधी के देश में गाँधी के हत्यारे महिमा मंडित है. नमन

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नज़र का वार और मनुहार मुस्कराहट की
वो शख्श प्यार का व्यापार किये जाता है. नमन
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बड़ा मुश्किल है बताना किसी को हाले दिल
यहाँ पर लोग मोहब्बत को सज़ा देते हैं.
बसा रखी है अपने ज़ेहन में नफरत इतनी
मेरी चाहत को अदावत का सिला देते हैं . नमन
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बेहद हसींन है मगर बेवफा है वो
मेरे इश्क की किताब का पहला सफा है वो . नमन

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