Wednesday 7 October 2015

बिहार और देशकी राजनीती

इस महीने बिहार में चुनाव होने जा रहे हैं। यह चुनाव देश की दिशा निर्धारित करेगा।
                               देखना है कि कई चरणों में होने जा रहे इन चुनावों में 'देश जीतता है या हारता है'।
एक तरफ स्वतंत्रता सेनानी के समाजवादी पुत्र, निष्कलंक नीतिशजी, जातिवाद के शिखर पुरुष, भ्रष्टराजनीति के सिरमौर लालूजी और बिहार मे अपनी पहचान खो रही काँग्रेस 
एवम्
 दूसरी तरफ धार्मिक उन्माद, झूठ और जुमलो की राजनीति करने वाली, केन्द्र मे अपने एक भी वादा पूरा न करने वाली, धन्नासेठों की यू टर्न पार्टी और उसका साथ दे रहे अवसरवादी राजनीति की अनीति के प्रणेता रामविलास पासवान, नीतिश की नाव मझधार में छोडकर नाव से कूदने वाले धोखा पुरुष माझी और अन्य जातिवादी पार्टियां।
बिहार को मोदी जी के केंद्र के १६ महीने के शासन और नितीश के १० साल के बिहार के शासन का तुलनात्मक अध्ययन कर इन दोनों नेताओं के कार्यों पर वोट करना होगा न की वादों और जुमलों पर. 
उदाहरणार्थ- मोदी जी ने १०० दिन में ४०० लाख करोड़ का काला धन लाने का वादा किया था. बीजेपी, संघ, बाबा रामदेव आदि कहते थे की उनके पास प्रमाण हैं, खाता न. हैं, सोनिया गाँधी और  कांग्रेसियों के खाते में लाखों करोड़ पड़े हैं. कहाँ गए वे पैसे? १५ -१५ लाख हमारे खाते में न भी देते , देश के खाते में तो जमा करते?
एक के बदले १० पाकिस्तानी सिर लाने के वादे भी ५६ ईंची सीने वाले ने किये थे. इस हिसाब से अगर पाकिस्तानी सिर लाते तो अब तक पकिस्तान की आधी सेना का सिर हमारे पास होता.
बलात्कार पर इतनी कार्यवाही हुयी की मध्यप्रदेश और राजस्थान बलात्कार के मामलों में शीर्ष पर पहुँच गए.
लोकपाल डिब्बे में बंद है, ललित गेट, व्यापम, खान घोटाला, चिक्की घोटाला , घोटाले पर घोटाला हो रहा है.

बिहार को देखना होगा कि क्या उन्हे चारा घोटाले के बाद बिहार में लाखों करोड का 'व्यापम' करना है, उसे मध्यप्रदेश जैसा नं 1 बलात्कारी राज्य बनाना है, राजस्थान जैसा ललित गेट करना है, 45000 करोड का खान घोटाला करना है, महाराष्ट्र जैसा चिक्की घोटाला करना है, यदुरप्पा जैसा जमीन घोटाला, सुषमाजी के दत्तक पुत्रो रेड्डी बंधुओं का लाखों करोड का खान घोटाला, गुजरात बनाना है जहाँ सिर्फ 3 दिन में 250 से जादा अबलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार कर उनकी हत्या कर दी जाती है, जहाँ लडकियां खुलेआम 25-25 हजार में बिक रही हैं।
बिहारियों को सोचना है की उन्हें कौन सा बिहार बनाना है ? 
क्या उन्हे वोट देना है जो हरियाणा में वोट के बदले बिहारी बहुंए देने का वादा करते हैं, दिल्ली की बदहाली के लिए बिहारियों को दोष देते हैं, गुजरात में नौकरी न मिलने के लिए बिहार को दोषी ठहराते है, जिसके जीतने पर मुख्यमंत्री बिहारी तो होगा पर वह सिर्फ नागपुर का मुखौटा होगा।

या फिर 
बुद्ध, महावीर की भूमि, सीता की जन्मस्थली बिहार नीतिश और लालू के असहज गठबंधन को चुनेगा जो अपनी कमजोरियों के बावजूद उनका अपना होगा। एक तरफ सिर्फ चुनावी जुमले हैं दूसरी तरफ नीतिश का 10 साल का कार्य है।
बिहार तय करेगा कि आगे हमारा देश धन्नासेठों द्वारा संचालित विग्यापनों, वादों, जुमलों वाली और धर्म की राजनीति करनेवालों सरकार चाहता है 
या
बिहार के आर्थिक विकास , शिक्षा और स्वास्थ सेवाओं को घर घर पहुँचाने वालों की सरकार।
'नमन'

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