ए इश्क का फंडा
बड़ा अजीब है।
हम सभी ढेरों
प्यार चाहते हैं, पर कोई
सच कुबूलने को तैयार ही नहीं।
मेरे एक मित्र
मज़ाक मे कहते हैं की स्त्री का दिल बड़ा संकीर्ण होता है उसमे सिर्फ एक पुरुष रह
सकता है। और हम पुरुषों का हृदय बड़ा विशाल होता है, उसमे बीबी एक कोने मे पड़ी रहती है और
दिल के बड़े भाग पर सुष्मिता सेन, कैटरीना कैफ से लेकर
प्रियंका चोपड़ा तक ढेर सारी सुंदर महिलाओं का कब्जा रहता है।
कहने का मतलब
सिर्फ ये है की हमने पुरुष को तो अधिकार दे दिया की वह कई महिलाओं से मधुर संबंध
रखे पर स्त्री को तथाकथित पर-पुरुष की तरफ झाँकने की इजाजत तक नहीं दी।
किसी महिला के
हृदय मे कई पुरुषों के लिए कोमल भवनाएं क्यों नहीं हो सकती?
जिन लेखिकाओं ने
सत्य लिखने की कोशिश की उन्हे पुरुष प्रधान समाज ने कितने ही सम्बोधन दे डाले।
शादी मे क्या इस
दिल की रजिस्ट्री हो जाती है, मालिकाना हक हो जाता है किसी का ?
शरीर पर हक
कुबूल, हज़ार बार
कुबूल पर दिल तो दिल है वह किसी बंधन मे नहीं बंधता। मन मयूर नाच ही उठता है हर नए मानसून मे ?
पति पत्नी को एक
दूसरे के प्रति ईमानदार होना चाहिए. विवाहेत्तर शारीरिक संबंध नहीं बनाये जाने
चाहिए. संबंधों की पवित्रता बनी रहनी चाहिए. ये सब उचित है पर उन कोमल कोपलों का
क्या जो बहारों के आते ही फूट पड़ती हैं. कोमल भावनाओं के उस ज्वार पर जो किसी से
मिलकर ह्रदय में उठता है, किसका बस चला है ?
दिल पर किसका
जोर चला है किसका काबू आया है
दिल पागल है इस
पागल ने सारा जग भरमाया है.
अगर हम फूलों, पेड़ों,
नदियों, पहाड़ों , पक्षियों, जानवरों से प्रेम कर सकते हैं तो फिर स्त्री पुरुष से
और पुरुष स्त्री से क्यों नहीं प्रेम कर सकता. हम कुत्तों, बिल्लियों को बाँहों
में भरे उन्हें चूमते, दुलारते, सहलाते सार्वजनिक रूप से घूम सकते हैं, पर अपने
किसी महिला या पुरुष मित्र का हाथ अपने हाथ में नहीं ले सकते, उसे गले नहीं लगा
सकते.
सच यही है और
यही रहेगा की प्यार की प्यास असीम है। जो कहता है की वो संतुष्ट है वह झूठ बोल रहा
है।
इश्क को इबादत
बना दिया हमने
फिर खुदा से
जुदा हो तड़पते रहे।
‘नमन’
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