Saturday 15 November 2014

एक कविता

 
एक कविता ----

एक कविता अनकही सी
रोज साँसों में महकती
एक कविता अनकही सी
रोज आँखों से बरसती |

एक कविता अनकही सी
भूख से भी है निकलती
एक कविता अनकही सी
प्यास बनकर है तड़पती |

एक कविता अनकही सी
नदी के तट पर मटकती  
एक कविता अनकही सी
मरुथलों में है भटकती |

एक कविता अनकही सी
तेरे होठों पर थिरकती
एक कविता अनकही सी
मेरी बाहों में सिमटती |


एक कविता अनकही सी
बन के आती ऋतु बसंती
एक कविता अनकही सी
चाँद जैसे मुस्कराती |

एक कविता अनकही सी
देश का गुणगान करती
एक कविता अनकही सी
प्रेरणा वीरों की बनती |

एक कविता अनकही सी
शहादत के गीत गाती
एक कविता अनकही सी
रण में दुश्मन को हराती |

एक कविता अनकही सी
बीज बोती हल चलाती
एक कविता अनकही सी
अपनी गौओं को चराती |

एक कविता अनकही सी
गीत गाती गुनगुनाती  
एक कविता अनकही सी
दर्द बन दिल में समाती |

एक कविता अनकही सी
बस तुम्हारी बात करती
एक कविता अनकही सी
इश्क की सुरुवात करती |

एक कविता अनकही सी
सोलहों श्रृंगार करती
एक कविता अनकही सी
काश मुझसे प्यार करती |

                        ‘नमन’    

No comments:

Post a Comment