Wednesday 26 March 2014

आईना बना जब मैं चेहरों की हकीकत का,तो तोड़ दिया हमको लोगो ने खफा होकर।

आईना बना जब मैं चेहरों की हकीकत का
तो तोड़ दिया हमको लोगो ने खफा होकर।

BJP ने लगातार किया है भारतीय किसानो के साथ अन्याय----
आडवाणी कहते हैं की हम व्यापारियों की पार्टी हैं......
मोदी कहते है की व्यापारी सीमा पर लड़ रहे सैनिक से जादा खतरा उठाता है.......

वे शहरी महिलाए जो अपने एक दिन के मेकअप पर अपने पूरे परिवार के महीने भर के रासन से जादा खर्च करती हैं, करती हैं किसानों के उत्पादों को उचित मूल्य दिये जाने का विरोध....
किसानो की आत्म हत्या की जितना ज़िम्मेवार BJP है उतनी ही ये सजी धजी , पढ़ी लिखी दिग्भ्रमित शहरी महिलायें....

मैंने कभी इन सजी-धजी, सड़ी-गली विदुषियों को टीवी पर किसान के गेहूं, चावल, सब्जी को जादा दाम मिलने का आग्रह करते नहीं देखा....

· बीजेपी शासन मे गेंहू का सरकारी खरीद मूल्य सिर्फ रु 6.30/-प्रति किलो था। कांग्रेस सरकार ने गेंहू का समर्थन मूल्य लगभग ढाईगुना बढ़ा कर रु 13.50/- प्रति किलो कर दिया। ताकि किसान कोउसके उत्पाद का जादा दाम मिल सके।
· बीजेपी शासन(2004) मे चावल का खरीद मूल्य सिर्फ रु 5.50/प्रति किलो था जिसे वर्तमान कांग्रेस सरकार ने बढ़ा कर सन-2014 मे रु 13.45/ प्रति किलो कर दिया है।
· BJP शासन(२००४) मे जवारी का खरीद मूल्य मात्र रु 6/- प्रति किलो था उसे वर्तमान कांग्रेस सरकार ने ढाई गुना बढ़ा कर रु 15/- प्रति किलो कर दिया है।
· बीजेपी शासन(2004) मे गन्ने का खरीद मूल्य रु 73/- प्रति क्विंटल था जिसे कांग्रेस सरकार ने 3 गुना बढ़ा कर रु 220/-प्रति क्विंटल कर दिया है।
· BJP शासन(२००४) मे कपास का खरीद मूल्य मात्र रु 1925/-प्रति क्विंटल था, जिसे वर्तमान कांग्रेस सरकार ने 2 गुना बढ़ा कर रु 3900/- प्रति क्विंटल कर दिया।
* BJP शासन(2004) मे जवारी का खरीद मूल्य मात्र रु 600/- क्विंटल था , जिसे वर्तमान कांग्रेस सरकार ने ढाई गुना बढ़ा कर रु 1500/- क्विंटल कर दिया।
· BJP शासन(2004) मे ग्रामीण मजदूरों की मजदूरी रु 48/- प्रति दिन थी। आज 2014 मे कांग्रेस शासन ने यह मजदूरी लगभग 3 गुना बढ़ा कर रु 138/- प्रति दिन कर दी।
· बीजेपी ने अपने 1998 से 2004 के कार्यकाल मे किसानो के उत्पादों का सरकारी खरीद मूल्य नहीं बढ़ाया और शहरी मतदाता को लुभाने के लिए मंहगाई न बढ़ाने के नाम पर किसानो का शोषण किया।

· बीजेपी शासन(1998-2004) मे किसानो को उनके उत्पादों के उचित मूल्य न मिलने से धीरे धीरे उनपर कर्ज़ बढ़ता गया और 2004-2005 आते आते स्थिति विस्फोटक हो चुकी थी। सरकारी सहायता के अभाव मे किसानो ने बड़ी संख्या मे आत्महत्या की।
· कांग्रेस ने शासन मे आने पर न केवल छोटे और मझोले किसानो का 70,000 करोड़ रु एक मुश्त माफ किया बल्कि पूरे देश के किसानो को साहूकारों के ऋण से मुक्ति दिलाने के लिए बीजेपी शासन से 7 गुना जादा ऋण दिया।
· आज पूरे देश के किसानो को 2004 के बीजेपी शासन के 1.04 लाख करोड़ के लोन के मुक़ाबले कांग्रेस ने 7लाख करोड़ का ऋण बैंको की मार्फत दिया है, ताकि किसानो को साहूकारों के चंगुल से मुक्ति मिले।

पर इससे हमारे अमानवीय शहरी भाइयों और व्यापारियों को क्या लेना देना? किसान मरे तो मरे, मजदूर मरे तो मरे।
'नमन'

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