बचपन मे एक कहानी सुनी थी। 4 स्कूली लड़के एक चुलबुल सिंह के खेत मे गन्ना तोड़ते पकड़े गए। स्कूली बच्चे थे हट्टे कट्टे और शरारती भी, गन्ना चूसने के लिए तोड़ा था।
चुलबुल सिंह दुबले पतले पर बुद्धिमान। सोचा चारो लड़को को मारने की कोशिश की तो चारों तगड़े हैं चरो मिलकर हमे ही लतिया डालेंगे।
सो एक लड़के से बोले तू, तूने गन्ना क्यों तोड़ा? (दूसरे लड़कों की तरफ इंगित करके )ये तो हमारे पंडित जी के लड़के हैं, गुरु हैं, इनका हक है। दूसरे ये मुंशी जी के लड़के हैं इनके पिता पटवारी हैं, इनहि की पैमाइश पर ये खेत मिला । तीसरे ये तो हमरे पटीदार के लड़के हैं, राजपूत हैं।
ये तीनों गन्ना तोड़े तो तोड़े पर तू? चरवाहे का लड़का स्साले तेरी हिम्मत कैसे हुयी और उसे पटक कर खूब पीटा, वो भागा ।
फिर मुंशी जी के लड़के को पकड़ा बोले, स्साले लाला की औलाद तेरी हिम्मत कैसे हुयी की राजपूत की फसल पर आँख भी उठाए? ये दोनों तो ठीक हैं, गुरुजी हैं, पटीदार हैं हमारे पर तू स्साले। सो कायस्थ पुत्र भी खूब लतियाए गए और भागे।
अब बारी थी राजपूत लड़के उर्फ पटीदार पुत्र की। चुलबुल उस पर चढ़ दौड़े। पीटते हुये बोले, ब्राह्मणो का तो हक है हमारी फसल पर। गुरु है , हम वैसे भी उन्हे दान दक्षिणा देते रहते हैं पर तू ... बाप का माल समझे थे ससुर ! खूब जी भर के पीटा राजपूत पुत्र को। वो भी मार खा कर पलायन कर गया।
अब बारी थी पंडित जी के लड़के की। चुलबुल उसे पकड़ कर अपनी बची खुची ताकत से शुरू हो गए ले दना दन। बोले पंडित जी पंडिताई का मुफ्त करते हैं की तुम्हें सांड की तरह खुला छोड़ रखा है की कहीं भी चरो। साले तेरे बाप का कर्ज़ खाये हैं का चुलबुल, जो तू चला था हमारे खेत का गन्ना तोड़ने। लुब्बे लुवाब यह की चुलबुल ने बारी बारी चारों की खूब मरम्मत की।
प्रवीण तोगड़िया साहब के अनुसार देश के (2011 की जनगणना के अनुसार)लगभग 89.52 करोड़ हिंदुओं को 16.74 करोड़ मुसलमानो से खतरा है सो उन्हे रास्ते से हटाओ।
फिर 5.72 करोड़ क्रिश्चियन से जो खतरा पैदा होगा उन्हे हटाएँगे।
अब बचे 2.23करोड़ सिख तो उन्हे देश निकाला देंगे ।
और फिर बौद्ध और जैनियों से पूंछेगे की उनकी इक्छा क्या है?
जय हो विश्व हिन्दू परिषद की! जय हो प्रवीण तोगड़िया की!
जय हो सिंघल की! जय हो मोदी जी की!
चुलबुल सिंह दुबले पतले पर बुद्धिमान। सोचा चारो लड़को को मारने की कोशिश की तो चारों तगड़े हैं चरो मिलकर हमे ही लतिया डालेंगे।
सो एक लड़के से बोले तू, तूने गन्ना क्यों तोड़ा? (दूसरे लड़कों की तरफ इंगित करके )ये तो हमारे पंडित जी के लड़के हैं, गुरु हैं, इनका हक है। दूसरे ये मुंशी जी के लड़के हैं इनके पिता पटवारी हैं, इनहि की पैमाइश पर ये खेत मिला । तीसरे ये तो हमरे पटीदार के लड़के हैं, राजपूत हैं।
ये तीनों गन्ना तोड़े तो तोड़े पर तू? चरवाहे का लड़का स्साले तेरी हिम्मत कैसे हुयी और उसे पटक कर खूब पीटा, वो भागा ।
फिर मुंशी जी के लड़के को पकड़ा बोले, स्साले लाला की औलाद तेरी हिम्मत कैसे हुयी की राजपूत की फसल पर आँख भी उठाए? ये दोनों तो ठीक हैं, गुरुजी हैं, पटीदार हैं हमारे पर तू स्साले। सो कायस्थ पुत्र भी खूब लतियाए गए और भागे।
अब बारी थी राजपूत लड़के उर्फ पटीदार पुत्र की। चुलबुल उस पर चढ़ दौड़े। पीटते हुये बोले, ब्राह्मणो का तो हक है हमारी फसल पर। गुरु है , हम वैसे भी उन्हे दान दक्षिणा देते रहते हैं पर तू ... बाप का माल समझे थे ससुर ! खूब जी भर के पीटा राजपूत पुत्र को। वो भी मार खा कर पलायन कर गया।
अब बारी थी पंडित जी के लड़के की। चुलबुल उसे पकड़ कर अपनी बची खुची ताकत से शुरू हो गए ले दना दन। बोले पंडित जी पंडिताई का मुफ्त करते हैं की तुम्हें सांड की तरह खुला छोड़ रखा है की कहीं भी चरो। साले तेरे बाप का कर्ज़ खाये हैं का चुलबुल, जो तू चला था हमारे खेत का गन्ना तोड़ने। लुब्बे लुवाब यह की चुलबुल ने बारी बारी चारों की खूब मरम्मत की।
प्रवीण तोगड़िया साहब के अनुसार देश के (2011 की जनगणना के अनुसार)लगभग 89.52 करोड़ हिंदुओं को 16.74 करोड़ मुसलमानो से खतरा है सो उन्हे रास्ते से हटाओ।
फिर 5.72 करोड़ क्रिश्चियन से जो खतरा पैदा होगा उन्हे हटाएँगे।
अब बचे 2.23करोड़ सिख तो उन्हे देश निकाला देंगे ।
और फिर बौद्ध और जैनियों से पूंछेगे की उनकी इक्छा क्या है?
जय हो विश्व हिन्दू परिषद की! जय हो प्रवीण तोगड़िया की!
जय हो सिंघल की! जय हो मोदी जी की!
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