आप
मैं हमेशा अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों द्वारा भ्रष्टाचार के
खिलाफ उठाई गई आवाज़ का समर्थक रहा हूँ। पर सत्ता के मोह ने उन्होने दिल्ली वासियों
को जो झूठा दिलासा या झांसा दिया वह कत्तई सराहनीय नहीं है। केजरीवाल ने अपने आपको
जेपी आंदोलन के उन नेताओं की पंक्ति मे ला खड़ा किया है जो न सिर्फ असफल रहे बल्कि
सत्ता के लिए लगातार अपने सिद्धांतो से समझौता करते रहे।
सत्ता मे सादगी का दावा करने वाले अरविंद केजरीवाल और उनके
सहयोगियों ने सत्ता के गलियारे मे अपना पहला कदम इतने ताम-झाम से रखा की शपथ
समारोह मे दिल्ली की जनता पर राम लीला मैदान के पांडाल, सुरक्षा बाड़, सजावट और
सुरक्षा इंतज़ामों का लगभग 75 लाख रु का अतिरिक्त बोझ पड़ा।
अगर यह शपथ समारोह राजभवन मे होता तो खर्च शायद 1या 2 लाख रु होता।
रिक्शे मे चल कर दिल्ली की जनता का पैसा बचाने का दावा करने वाले अरविंद केजरीवाल
और उनके मंत्रिमंडल के सभी सहयोगियों को अगर नई कार खरीद कर दी जाती तो उसकी कीमत
और उसके लगभग साल भर के पेट्रोल का खर्च शायद 75 लाख से कम ही होता। जनता की गाढ़ी
कमाई का जो पैसा केजरीवाल ने सिर्फ 1 दिन मे अपने शपथ ग्रहण पर खर्च कर दिया।
अब आते हैं पानी की कीमतों मे कमी की बात पर। केजरीवाल जी ने सभी
दिल्ली वासियों को 700 लीटर पानी प्रतिदिन मुफ्त देने की बात की थी। पर योजना लागू
करते समय नीचे का हाथ भी लगा दिया की जो महीने मे 20,000 लीटर से 1 लीटर भी जादा पानी खर्च करेगा उसे
पूरे 20,000 लीटर पानी के साथ साथ अतिरिक्त पानी का भी
भुगतान 10% अधिक भाव से करना होगा।
इस तरह उन्होने एक तरफ उन धनाढ्य साभ्रांत परिवारों को जिनके घर के
सदस्यों की संख्या अधिकतम 3या 4 है और जो अगर प्रतिव्यक्ति 150 लीटर पानी भी खर्च
करें तो जिन्हे 600 लीटर प्रतिदिन से अधिक पानी खर्च नहीं करना होता छूट दी और
उनका पानी का बिल माफ कर दिया वहीं जो गरीबी की रेखा के जो संयुक्त परिवार हैं, जिनमे सदस्यों की संख्या 8 है अगर 100 लीटर भी
प्रतिदिन खर्च करें तो उन्हे पूरे 800 लीटर पानी का बिल 10% अधिक रेट से देना
होगा। यह कहाँ का न्याय है केजरीवाल साहब? आपने भारत के
संयुक्त परिवार की अवधारणा को ही चोट पहुंचाने का काम किया है। अगर आपको मुफ्त
पानी देना ही है तो मानवीय जरूरत के अनुसार प्रति व्यक्ति 140 लीटर पानी मुफ्त
देने का इंतेजाम करिए।
बिजली की दरें आधी करने की बात करने वाले केजरीवाल साहब की पार्टी
के लोग अब अलग भाषा बोलते नज़र आ रहे हैं। अभी तक कहते थे की बिजली कंपनियों का भाव
कम करेंगे, उनकी चोरी
पकड़ेंगे, आडिट कराएंगे वगैरह वगैरह। अब बिजली कंपनियों का
भाव कम न करके शीला दीक्षित सरकार द्वारा जो आम आदमी को बिजली मे सबसिडी दी जा रही
थी वही सबसिडी बढ़ा 50% कर दी है। इससे क्या होगा केजरीवाल साहब। बिजली का पैसा
दिल्ली की राज्य सरकार किसी अन्य मद मे जनता से उगाहेंगे। कोई केजरीवाल साहब या
उनके सहकारी अपने घर से तो लाएँगे नहीं।
केजरीवाल साहब के सहयोगियों का कहना है की शीला दीक्षित ने दिल्ली
मे 2005 से 2010 तक बिजली का भाव नहीं बढ़ाने दिया था। इससे बिजली कंपनियों का
दिल्ली सरकार पर लगभग 11000 करोड़ का कर्ज़ है। अब केजरीवाल साहब के भाव कम करने से
दिल्ली की जनता पर कर्ज़ का ये बोझ घटेगा नहीं, उल्टा और बढ़ेगा। केजरीवाल साहब तो कल चले जाएंगे
और कमर टूटेगी दिल्ली की जनता की।
मुझे एक किस्सा याद आ रहा है। एक आदमी ने नया होटल खोला और उस पर
लिखा, यहाँ खाना मुफ्त
मिलेगा। हर आदमी जब खाना खाकर उठता तो उसे एक बिल दिया जाता जिस पर लिखा होता, पानी और सेवा का बिल प्रति व्यक्ति 100 रु। जब ग्राहक पूंछता तो उसे
बताया जाता हम खाना तो मुफ्त दे रहे हैं साहब पर आपको परसने,
आपके पीने के पानी का बिल और साफ सफाई का बिल यह 100 रु प्रति व्यक्ति है। ऐसे ही
घुमा फिरा कर यदि जनता से पैसे लेना है तो
सीधे क्यों नहीं?
केजरीवाल और आप के उनके सहयोगी रिक्शा और बस छोड़ कर कार मे चलने
लगे हैं, केजरीवाल साहब ने
खुद पुलिस सुरक्षा ले ली है, कुछ दिनों मे उनकी नीतियाँ भी सनदी
IAS अधिकारियों की सुरक्षा मे चली जाएंगी और नीयत तो अभी से
साफ दिखाई पड़ रही है।
ईश्वर हमे सद्बुद्धि दें और केजरीवाल साहब को भी। सुना है गरीब
आदमी की बात करने वाले केजरीवाल साहब की आदरणीय पत्नी और बच्चे आजकल सिंगापूर मेन
छुट्टी मना रहे हैं। 30 साल से अधिक के अपने सक्रिय राजनैतिक जीवन के बाद भी मैं इतना
पैसे नहीं जुटा पाया की अपने बच्चों को प्रति वर्ष अपने पैतृक गाँव दान्दुपुर ले
जा सकूँ, फिर भी हम राजनीति
मे भ्रष्ट कहे जाते हैं। साहब IRS पत्नी के पति हैं सो साहब
ईमानदार हैं।
'नमन'
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