Sunday 28 July 2013

सरदार पटेल

सरदार पटेल थे आरएसएस और हिन्दू महासभा के कट्टर विरोधी ...

• सन 1928 का ‘बारडोली सत्याग्रह’ वह किसान आंदोलन है जिसने वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व को स्थापित किया और उन्हे सरदार की उपाधि मिली। सरदार यानि लीडर, नेतृत्व करने वाला। बारडोली आंदोलन मे सरदार पटेल के साथ जिन महत्वपूर्ण कांग्रेस नेताओं ने भाग लिया उनमे इमाम साहब अब्दुल कादिर, उत्तमचंद शाह , मोहनलाल पण्ड्या, भक्तिबा देसाई, दरबार देसाई, मिथुबेन पेटिट , जुगतरामभाई दवे, फुलचंद कवि इत्यादि प्रमुख थे। किसी हिन्दू महासभा नेता या आरएसएस नेता ने इस आंदोलन मे भाग नहीं लिया।

• सरदार पटेल ने 4 फरवरी 1948 को केंद्रीय गृह मंत्री की हैसियत से जारी किए गए अपने पत्र द्वारा आरएसएस को प्रतिबंधित करते हुये कहा था की घृणा और हिंसा फैलाने वाली संस्था आरएसएस को गैर कानूनी करार दिया जाता है और इसकी गतिविधियों को प्रतिबंधित किया जाता है। क्योंकि ये पाया गया है की देश के विभिन्न भागों मे संघ के लोग दंगा, लूटमार, हिंसा, गैर कानूनी हथियार इकट्ठा करने और आगजनी मे सलग्न हैं।

• 11 सितम्बर 1948 को सर संघ चालक गुरु गोलवलकर को लिखे अपने पत्र मे सरदार पटेल ने लिखा की हिंदुओं को इकट्ठा करना, उन्हे संगठित करना एक बात है पर उनमे घृणा और द्वेष का जहर बोना और उन्हे बदला लेने के लिए प्रेरित करना अलग बात है। संघ द्वारा फैलाये जा रहे जहर के कारण ही महात्मा गांधी की हत्या हुयी और उसके लिए संघ जिम्मेदार है।

• राम मंदिर के लिए पूरे देश से एक एक ईंट इकट्ठा करने के नाम पर हजारो करोड़ इकट्ठा करने वाली बीजेपी ने अभी तक न तो ईंट का न तो हिंदुओं के हजारों करोड़ रुपये का हिसाब दिया है और अब मोदी सरदार पटेल के नाम पर पूरे हिंदुस्तान से लोहा मांगने निकले है ताकि फिर हजारों करोड़ का हेर फेर हो सके।

जिनको प्रिय हो सत्य साथ वो मेरे आ जाएँ
जिनको प्रिय आदर्श साथ वो मेरे आ जाएँ ।
सह न सकेंगे अब हम अत्याचार निरंकुशता
जिनको प्रिय हो स्वार्थ रास्ते से वो हट जाएँ। ‘नमन’

No comments:

Post a Comment