Tuesday 4 June 2013

आम के पेड़ की आत्म हत्या


--- आम के पेड़ की आत्म हत्या ---

गाँव मे घुस आए थे अचानक 
थानेदार और उसके सिपाही 
हर तरफ धर पकड़ 
पुरुष भागे जंगलों की ओर 
महिलाओं ने बंद कर लिए 
अपने झोपडो के दरवाजे 
पर वे जीर्ण दरवाजे 
रोक नहीं पाये थानेदार को ......
एक-एक झोपड़ी खुलवाकर 
थानेदार ने शुरू किया 
पाशविकता का नंगा नाच 
सुना है बगल के गाँव के 
ठेकेदार के घर से 
गायब हो गए थे कुछ गहने 
उसे शक था 
इन मुसहरों के टोले पर 
इन्ही ने चुराये होंगे 
चोर हैं साले सबके सब   
पेड़ पर चढ़ने मे पारंगत 
घर की चारदीवारी लांघने मे 
कितना देर लगती है ......
घरों से निकाल-निकाल कर 
पीटी जा रही थी उनकी औरतें 
कुछ को तो 
नंगा कर दिया था थानेदार ने 
आम के पेड़ के नीचे 
काँप रहा था आम का तना 
खड़-खड़ा रहे थे उसके पत्ते विद्रोह मे 
विवश आम देखता रहा 
नंगी की जा रही अपनी माओं को 
जिन्होने लोटा-लोटा जल से 
सींचा था उसे 
देखता रहा वह 
गिद्धों द्वारा नोची जा रही 
अपनी बहनो को 
रो- रो कर सूख गए उसके आँसू 
सूख गया उसके अंदर का पानी 
यह सब सह नहीं पाया आम 
सूखता चला गया अपनी विवशता पर 
और कर ली उसने आत्महत्या 
कर ली आम ने आत्महत्या..... 
                   ‘नमन  

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