प्यासे कुओं में पानी की जिसको तलाश है
वो आदमी दुनिया में हमेशा उदास है।
हम ढूंढ़ते हैं रेत में नखलिस्तान को
है भरम की पानी कहीं पर आस पास है।
बेहतर ये होता डूब जाते आँख में उनकी
वो ये न कहते कोई और मेरा खास है।
ज़मा किया हुआ ज़र न कभी काम आएगा
समन्दर के पानी से नहीं बुझती प्यास है।
नेता नहीं होते हैं किसी के कभी 'नमन'
जो भी कहे हैं ये वो सबका-सब बकवास है।
'नमन'
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