Friday, 4 January 2013

KAVITA




कविता 
कभी होती है 
उदास और खामोश 
कभी होती है चुल-बुली  
कभी गुनगुनाती है 
कभी धीरे से कह जाती है 
कानो में कुछ ......

कविता 
कभी टांक दी जाती है 
आसमान के आँचल में 
चाँद - तारों के साथ 
तो कभी बरसती है  
सावन की फुहारों के साथ 
कभी तपती है 
सुलगते रेगिस्तानो जैसी 
प्रिय के विरह में यही कविता .... ....

कभी शांत नदी 
तो कभी उफनते महासागर सी 
होती है कविता ......

कविता होती है 
गंगा सी पवित्र 
यमुना सी गहरी 
और सरस्वती सी लुप्त 
जो सिर्फ 
पवित्र हृदयों में ही प्रकट होती है ..

कविता
कभी शब्दों में ढलती है 
तो कभी आँखों में पिघलती है 
कविता कभी सत्य 
तो कभी सपनो की दुनिया है 
मगर जहाँ भी है 
जैसी भी है कविता 
मधुर है , मनोरम है 
सुंदर है , सलोनी है 
भाषा है , बोली है 
तुम्हारी है, मेरी है 
प्यार करने वालों की
हमजोली है कविता ...
                           'नमन' 

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