Sunday 30 December 2012

मेरा सवाल तुम्ही हो


क़यामत ढा रहे थे चुप रह कर 
बोल कर बिजलियाँ गिराएंगे।

रूठे गीतों को फिर  मनाएंगे 
सूखी आँखों को फिर रुलायेंगे।

फितरत उनकी शायराना है 
अपना जलवा हमें दिखायेंगे।

कभी जो खुद पर थे इतराते  
अब किसी और पर इतरायेंगे।

दर्दो- गम बढ़ते चले जाते  हैं 
'नमन' दिल में नहीं समायेंगे।
                                            'नमन'

मेरा सवाल तुम्ही हो , मेरा जवाब भी तुम
तुम् हकीकत हो मेरी और मेरा ख्वाब भी तुम।
तुम्हारे बिना मैं अधूरा सा नज़र आता हूँ
मेरी चाहत मेरे सपनो का माहताब भी तुम। 'नमन' 


शहादत काम है जिनका , मोहब्बत वो भी करते हैं
लुटाते जान वतन पर जो, किसी पर वो भी मरते हैं|
जो अपने को खुदा कहते हैं, इस  सारे ज़माने  का
किसी के दर पे जाकर झुक के सजदा वो भी करते हैं||  'नमन' 

रात दर  रात तड़पते रहे  खामोशी से 
आँख बरसती रही तकिये गीले होते रहे।

उसके गम में न लगी आँख कई बरसों से

उसकी यादों के दीप रात-रात जलते रहे। 'नमन'




उनकी हर चीज खुद से अज़ीज़ है हमको

उनके हिस्से का दर्द ए खुदा हमें दे दे ...

उनके आंसू मेरी तक़दीर में सारे लिख दे

सारी खुशियाँ मेरी सौगात में उसको दे दे ...
 
'नमन



अधूरी मगर जिंदगी जी रहा हूँ

तेरे गम अश्कों को मैं पी रहा हूँ।

वफायें कोई भी नहीं काम आई

फटी इश्क की चादरें सी रहा हूँ।

'नमन'

दुवायें साथ हों तो आदमी कैसे भी जी लेगा 
वफायें साथ हों तो दर्द की चादर को सी लेगा।
अगर हो प्यार की कश्ती तो सागर पार कर लेगा 
जहर सारे ज़माने के समझ अमृत वो पी लेगा।
                                                     'नमन'



'कातिल वही, क़ाज़ी वही, कोतवाल भी वही 
 रो - रो  के अपने हाल पे बेहाल भी वही। 'नमन'


उसके सीने में तेरा गम इस तरह पैबस्त है

जब वो तडपेगा जुबान पर नाम तेरा आएगा। 'नमन'


उनकी अदा पे कौन न मर जाये ऐ 'नमन'
वो वार भी करते हैं तो मनुहार की तरह। 'नमन' 


मन आवारा, तन बैरागी, मेहंदी सजी है बाहों में 
आँख शराबी, होठ गुलाबी,तुम चढ़ गए निगाहों में।   'नमन'

जवाब देते नहीं लाजवाब करते हैं 
सितम वो हमपे यूँ ही बेहिसाब करते हैं।  'नमन' 

तेरी हर अदा में गुलाब हैं, तेरी नज़र है या शराब है
है शहर में तेरे बहुत शबाब, पर तेरा नहीं जवाब है | 'नमन'



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