आज फिर वन्दन तुम्हारा !
हुआ मन चन्दन तुम्हारा .....
लीक से हट कर चला जो
है वही इतिहास रचता ...
तपा कर सोने को ही
प्रिय के गले का हार बनता ....
क्रांति का जो शंख फूंके
नमन उसको ही हमारा
आज फिर वन्दन तुम्हारा !
देश पर जब आंच आई
वीरता जिसने दिखाई
जिस सिपाही ने लड़ी है
मातृभूमि की लडाई ......
है दिया बलिदान जिसने
'नमन' उसको ही हमारा
आज फिर वन्दन तुम्हारा !
'नमन'
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