तो तुमने
जीना हराम कर रखा था ..
अब दूर हो तो
तुम्हारी याद नहीं जीने देती ..
'नमन'
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वो छीन कर
दूर रख देतीं है किताबों को
कहती है ......
रात-दिन सीने से लगाये रखते हो
सौतन हैं ए मेरी .....
'नमन'
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उसने कहा
मैं उसके सपनों में आया था
मैं सोचता रह गया ...
उससे मिलने के बाद
क्या मैं कभी सो पाया ..... ?
'नमन'
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जानता हूँ पत्थर हो
फिर भी पूजता हूँ
क्योंकि एक तुम ही तो हो
जो पत्थर के सही
मेरे हो ........!
'नमन'
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तुम क्या गए
दिल उजड़ गया
और
घर बस गया ...
'नमन'
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वो ख्वाब की तरह आये
हकीकत की तरह चले गए
और हमें
मलबे की तरह छोड़ गए ...
'नमन'
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