'कुछ तुम कहो - कुछ हम कहें'
प्रेम....!
कहने को
ढाई अक्षर
पर रचता है यही प्रेम
पूरा विश्व
इंसान को
देवता बना देने वाले
इसी प्रेम ने
नचाया था भगवान कृष्ण को
गोपिकाओं क़ी ताल पर.....!
'नमन'
======================
जब भी
शब्द रूठ जाएँ..
भावनाएं खो जाएँ ..
मन थक जाये .....
ख़ामोशी से कहो
धीरे से धरती पर उतर आये
समेटने तुम्हे
अपनी आगोश में.....!
'नमन'
========================
'मां'
तू सचमुच देवी है
दैवी है
तू सचमुच देवी है
दैवी है
तेरा स्नेह,
तेरा आशीष |
मन्त्रों और ऋचाओं क़ी तरह
पवित्र है तेरी वाणी.....
असीम है तेरा प्यार .....
तभी तो एक साथ
एक ही समय तू
हम सबके साथ होती है|
हम सबके साथ होती है|| 'नमन'
तेरा आशीष |
मन्त्रों और ऋचाओं क़ी तरह
पवित्र है तेरी वाणी.....
असीम है तेरा प्यार .....
तभी तो एक साथ
एक ही समय तू
हम सबके साथ होती है|
हम सबके साथ होती है|| 'नमन'
==========================
उफ़ ,
इतना भी मत चाहो मुझे
इतना भी प्यार मत करो
साधारण मनुष्य हूँ
मनुष्य ही रहने दो.....
देवता मत बनाओ मुझे
बहुत कमजोर हूँ मैं
समाज क़ी हथकड़ियों
और पारिवारिक जिम्मेदारी
क़ी बेड़ियों ने जकड़ा हुआ
हाथ बढ़ा कर तुम्हे
छू भी नहीं सकता
न आ सकता हूँ तुम्हारे
किसी काम
और तुम हो क़ी मुझे
देवता बनने पर तुले हो | 'नमन'
=================================
खुशियाँ गिनी
और दुःख
संजोये नहीं जाते...!
हम दरवाजा
खुला छोड़ आये थे
खुशियों के लिए..
और ये कमबख्त दुःख
बिन बुलाये चला आया....! 'नमन'
=================================
हमारी सोच
एक जैसी है....
अलग-अलग .....
वो परेशान हैं
क्या सियाचिन क़ी बर्फ पिघलेगी?
हम परेशान हैं
कब पिघलेगी आपसी संबंधों क़ी
ए बर्फ ....?
कब छंटेगा अविश्वास का
घना कोहरा...?
और कब...
आखिर कब थमेगा
हमारे नौजवानों क़ी
अंतहीन मौतों का सिलसिला
जो सीमा के दोनों ओर
अक्सर शहीद हो जाते हैं
कभी ठण्ड से
कभी गोलियों से
कभी बर्फीली आँधियों से
लड़ते हुए
बर्फ में दफ़न होकर...
'नमन'
No comments:
Post a Comment