Sunday, 29 April 2012


         बाज़ार 
बिक रही अस्मत यहाँ बाज़ार में
बिक रही किस्मत यहाँ बाज़ार में|
बिक रहा इमान अब बाज़ार में 
आदमी हैरान है बाज़ार में| 
बिक रहा कानून काले वेश में 
बिक रही सरकार तक बाज़ार में|
अब यहाँ बिकने लगी है जिंदगी
मौत भी बिकती यहाँ बाज़ार में|
ज्ञान हम बाज़ार में हैं बेचते
बिक रहा है प्यार भी बाज़ार में| 
अब मोहब्बत क्यों भला कोई करे 
बिक रहा है यार भी बाज़ार में|
जिसमे ताकत है ख़रीदेगा वही
बिक रही है रूह तक बाज़ार में|
छप के बिकता था कभी अखबार जो
छपने के पहले बिका बाज़ार में|
लेखनी क़ी धार क्यों पैनी रहे 
लेखनी खुद बिक गयी बाज़ार में|
जिसकी खातिर जिंदगी बर्बाद क़ी
बिक गया ओ प्यार तक बाज़ार में|
देखता था लोग बिकते थे यहाँ 
आज मैं खुद बिक गया बाज़ार में|  'नमन'

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