Thursday 20 January 2011

Maryaada Purushottam Ram

मित्रों,
मेरे एक विद्वान् मित्र ने पिछले दिनों अयोध्या क़ी यात्रा क़ी|
 राम लला और सीता मैया को घर विहीन एक छोटे से कपडे से छाये हुए मंडप में देख कर मर्माहत हुए और मुस्लिम बांधवों के खिलाफ उनके गुस्से का लावा फूट पड़ा| उन्होंने फेसबुक पर मुसलमान भाईयों के खिलाफ उत्तेजक विचार लिखे| मैंने फेसबुक पर
ही लिख कर उनको समझाने क़ी असफल कोशिश क़ी| सो वे  
मुझे भी जो कुछ वो समझा सकते थे समझा गए|
मेरे विद्वान् मित्र शायद पहली बार अयोध्या और प्रयाग हो आये थे अतः उन्हें समझा पाना मेरी बुद्धि कौशल्य के बाहर क़ी बात थी|  मित्रों
मेरी समझ में यह नहीं आता क़ी अयोध्या  का मुसलान तो बड़ी शान से रामलीला खेलता है देखता है, अयोध्या के मुसलमानों ने कभी राम के अस्तित्व को नकारा नहीं, अयोध्या का मुसलमान १९४७ से अबतक कभी रामजन्मभूमि स्थल पर नमाज पढ़ने गया हो इसके प्रमाण नहीं मिलते, राम के लिए 'इकबाल' ने कभी लिखा था....
"है राम के वजूद पे हिंदुस्तान को नाज,
 अहले वतन समझते हैं उनको इमामे हिंद||"
  ऐसे में आम मुस्लमान राम का विरोधी कब और क्यों हो गया यह सोचने वाली बात है| गैरराजनैतिक मुसलमान ना तो राम का विरोध
करेगा, न गैर राजनैतिक हिन्दू रहमान का विरोध| लोगों को बाँट कर
राज करने का काम राजनैतिक वर्ग/ शासक वर्ग हजारों वर्षों से करता आया है| हिन्दुस्तान का मुसलमान तो राम और कृष्ण में
श्रद्धा रखने वाला मुसलमान है| रसखान जैसी पवित्रता, श्रद्धा और कृष्ण प्रेम कितने हिन्दू  रचनाकारों में दिखाई पड़ता है|रसखान ने लिखा...
शेष महेश गणेश दिनेश सुरेशहु जाहि निरंतर ध्यावें ,
जाहि अनादि अनंत अखंड अछेद अभेद सुवेद बतावें|
नारद ते सुक व्यास रटें, पची ताऊ जहाँ पुनि पार न पावें
ताहि अहीर क़ी छोहरियाँ छछिया भर छाछ पे नाच नाचावें||
मैं यह नहीं कहता क़ी कुछ,( जी हाँ मैं कुछ शब्द का इस्तेमाल कर रहा हूँ) मुस्लिम बांधव जरूर हिन्दुओं के  खिलाफ जहर उगल रहे हैं, आतंकवाद से हाथ मिला बैठे हैं| इन्हें रोकना होगा , इनके कृत्यों का दंड भी इन्हें मिलना चाहिए लेकिन इसके लिए हम पूरे मुस्लिम भाईयों
को दण्डित नहीं कर सकते| सभ्य समाज में किसी  के दुष्कृत्यों क़ी सजा उसके बन्धु बांधवों को नहीं दी जाती| जहाँ हिन्दुस्तान में २०करोड़ के लगभग मुसलमान रहते है वहां उनमे से अगर कुछ हजार(मतलब .०२% से भी कम) आतंकवाद का सहारा ले रहे  हैं या
उनसे सहानुभूति रखने लगे हैं तो हमें ९९.९८% को रोकना/ समझाना  होगा क़ी वे समझदारी से काम लें और आतंकवाद से लड़ाई में हमारा साथ दें| अगर हम इस ९९.९८% पर भी अविश्वास
करेंगे उन्हें आरोपित करेंगे तो हम आतंकवादी ताकतों क़ी मदद
कर रहे होंगे|
   रही राम मंदिर क़ी बात, तो अदालत ने राम मंदिर के द्वार खुलवा दिए थे, २४ घंटे आरती पूजा हो रही थी| अयोध्या के मुसलमान अपने इक्के(तांगा) व अन्य वाहनों में भक्तों को मंदिर पहुंचा रहे थे, अयोध्या का मुसलमान फूल माला से लेकर भगवान् क़ी फोटो, मूर्तियाँ, प्रसाद , भगवत ग्रन्थ इत्यादि बेच रहा था जो  राजनेताओं को बर्दास्त नहीं हुआ और फिर जो हुआ उसे हम सब जानते हैं|
  जो मुझे मेरे गुरुजनों ने पढाया है उसके अनुसार मंदिर का अर्थ है घर | समाजमंदिर का अर्थ है समाज का घर, विद्यामंदिर  का अर्थ विद्या का घर, ऐसे में  शिव मंदिर का अर्थ शिव का घर, राम मंदिर का अर्थ राम का घर|  रामचरित मानस में हनुमान जी सीता मां को जब
लंका में खोज रहे होते हैं उस समय का वर्णन तुलसीदास जी ने
लिखा है     "मंदिर मंदिर प्रति कर सोधा,
                   देखे जंह तंह अगणित योद्धा ||
                   गयऊ दसानन मंदिर माहीं
                   अति विचित्र कहि जात सो नाहीं|\
                   सयन किये देखा कपि तेही
                   मंदिर महुं न दीखि वैदेही||

  अब लंका में कहाँ इतने मंदिर थे जहाँ हनुमान जी सीता मां को दूढ़
रहे थे| उस पर भी उन मंदिरों में योद्धा भरे पड़े थे| सीधे सीधे कहें
तो तुलसीदास जी ने महलों को जहाँ योद्धा रहते थे मंदिर का सम्बोधन दिया है|  मैं यह इस लिए लिख रहा हूँ क़ि अयोध्या के जिस ढांचे में राम लला क़ि मूर्ति थी, उनकी पूजा हो रही थी वह अगर हम तोड़ते हैं तो हमने मंदिर ही तोडा ऐसा मेरा मानना है|
                                      आपका..         'नमन'

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