आज एक छोटी सी गजल आप को समर्पित करने से पहले आँखों पर कुछ पंक्तियाँ .....
आँखे बोलती हैं/ बतियाती हैं /
रोती हैं, गाती हैं, शरमाती हैं/ सुनती, सुनाती / समझती और समझाती हैं/
भटकती, भटकाती, हंसती और हंसाती हैं/ मोह लेती हैं, ठगती और ठगी जाती हैं/
टुकुर टुकुर देखती हैं/ शरारती और शैतान होती हैं/ सयानी, दीवानी , मस्तानी होती हैं/
काली, नीली , भूरी होती हैं / गुलाबी , लाल , नीली - पीली होती हैं/
शरबती, सुर्ख, फीकी, सूनी होती हैं / तेज होती हैं /
इशारे करती हैं / क़यामत ढाती हैं / कत्ल करती हैं/
आँखे बुलाती हैं/ सताती हैं, धमकाती हैं/ बरसती हैं, तरसती हैं/
डरती हैं, डराती हैं/ कजरारी होती हैं/
मासूम होती हैं /बेजान होती हैं, अनजान होती हैं/
कभी खुश तो कभी परेशान होती हैं/
रसीली, पनीली, झील सी/ सागर सी होती हैं/
कभी अपनी तो कभी बेगानी होती हैं/
तीर चलाती हैं, तलवार चलाती हैं/
वार करती हैं, मनुहार करती हैं/
गीत होती हैं, गजल होती हैं/
आँखें इंसान की मुकम्मल शक्ल होती हैं/
आँखे इसरार करती हैं/
मनुहार करती हैं / इजहार करती हैं /
रीझती हैं, रिझाती हैं/ लड़ती हैं, लड़ाती हैं/
कभी सीधी तो कभी तिरछी होती हैं/
कभी असरदार तो कभी बे असर होती हैं/ कभी डरावनी, कभी लुभावनी/ तो कभी गुमानी होती हैं/
कभी बुझी बुझी/ तो कभी जलती होती हैं/
कभी दीप बन जलती हैं/ तो कभी आग उगलती हैं/
इनमें नूर होता है, प्यार होता है/
चमक होती है, दुलार होता है/
इनमें इंसान का पूरा का पूरा किरदार होता है.....
तेरे छूने से संवर जाऊंगा
वर्ना बेवक्त बिखर जाऊंगा!
मै तुझपे जान छिड़कता हूँ पर
तुने पूछा तो मुकर जाऊंगा !
तू मोहब्बत से यूँ न देख मुझे
आँख से दिल में उतर जाऊंगा!
मैं तेरे हुस्न का दीवाना हूँ
किसी भी हद से गुजर जाऊंगा!
तू मुझसे प्यार का इजहार न कर
वर्ना बेवक्त ही मर जाऊंगा !
"नमन"
आँखे बोलती हैं/ बतियाती हैं /
रोती हैं, गाती हैं, शरमाती हैं/ सुनती, सुनाती / समझती और समझाती हैं/
भटकती, भटकाती, हंसती और हंसाती हैं/ मोह लेती हैं, ठगती और ठगी जाती हैं/
टुकुर टुकुर देखती हैं/ शरारती और शैतान होती हैं/ सयानी, दीवानी , मस्तानी होती हैं/
काली, नीली , भूरी होती हैं / गुलाबी , लाल , नीली - पीली होती हैं/
शरबती, सुर्ख, फीकी, सूनी होती हैं / तेज होती हैं /
इशारे करती हैं / क़यामत ढाती हैं / कत्ल करती हैं/
आँखे बुलाती हैं/ सताती हैं, धमकाती हैं/ बरसती हैं, तरसती हैं/
डरती हैं, डराती हैं/ कजरारी होती हैं/
मासूम होती हैं /बेजान होती हैं, अनजान होती हैं/
कभी खुश तो कभी परेशान होती हैं/
रसीली, पनीली, झील सी/ सागर सी होती हैं/
कभी अपनी तो कभी बेगानी होती हैं/
तीर चलाती हैं, तलवार चलाती हैं/
वार करती हैं, मनुहार करती हैं/
गीत होती हैं, गजल होती हैं/
आँखें इंसान की मुकम्मल शक्ल होती हैं/
आँखे इसरार करती हैं/
मनुहार करती हैं / इजहार करती हैं /
रीझती हैं, रिझाती हैं/ लड़ती हैं, लड़ाती हैं/
कभी सीधी तो कभी तिरछी होती हैं/
कभी असरदार तो कभी बे असर होती हैं/ कभी डरावनी, कभी लुभावनी/ तो कभी गुमानी होती हैं/
कभी बुझी बुझी/ तो कभी जलती होती हैं/
कभी दीप बन जलती हैं/ तो कभी आग उगलती हैं/
इनमें नूर होता है, प्यार होता है/
चमक होती है, दुलार होता है/
इनमें इंसान का पूरा का पूरा किरदार होता है.....
तेरे छूने से संवर जाऊंगा
वर्ना बेवक्त बिखर जाऊंगा!
मै तुझपे जान छिड़कता हूँ पर
तुने पूछा तो मुकर जाऊंगा !
तू मोहब्बत से यूँ न देख मुझे
आँख से दिल में उतर जाऊंगा!
मैं तेरे हुस्न का दीवाना हूँ
किसी भी हद से गुजर जाऊंगा!
तू मुझसे प्यार का इजहार न कर
वर्ना बेवक्त ही मर जाऊंगा !
"नमन"
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