Thursday, 27 May 2010

AANKHE

आज एक छोटी सी गजल आप को समर्पित करने से पहले आँखों पर कुछ पंक्तियाँ .....
 
   आँखे बोलती हैं/  बतियाती हैं /
   रोती हैं, गाती हैं, शरमाती हैं/ सुनती, सुनाती /  समझती और समझाती हैं/
   भटकती, भटकाती, हंसती और हंसाती हैं/  मोह लेती हैं, ठगती और ठगी जाती हैं/
   टुकुर टुकुर देखती हैं/  शरारती और शैतान होती हैं/  सयानी, दीवानी , मस्तानी होती हैं/
   काली, नीली , भूरी होती हैं / गुलाबी , लाल , नीली - पीली होती हैं/
   शरबती, सुर्ख, फीकी, सूनी होती हैं /  तेज होती हैं / 
   इशारे करती हैं / क़यामत ढाती हैं /  कत्ल करती हैं/ 
   आँखे बुलाती हैं/  सताती हैं, धमकाती हैं/ बरसती हैं,  तरसती हैं/
   डरती हैं, डराती हैं/  कजरारी  होती हैं/ 
मासूम होती हैं /बेजान होती हैं, अनजान होती हैं/ 
कभी खुश तो कभी परेशान होती हैं/
   रसीली, पनीली, झील सी/ सागर सी होती हैं/ 
कभी अपनी तो कभी बेगानी होती हैं/ 
    तीर चलाती हैं, तलवार चलाती हैं/ 
वार करती हैं, मनुहार करती हैं/ 
    गीत होती हैं, गजल होती हैं/
 आँखें इंसान की मुकम्मल शक्ल होती हैं/
   
    आँखे इसरार  करती हैं/ 
 मनुहार करती हैं / इजहार करती हैं /
    रीझती हैं,  रिझाती हैं/  लड़ती हैं, लड़ाती हैं/ 
 कभी सीधी तो कभी तिरछी होती हैं/
    कभी असरदार तो कभी बे असर होती हैं/                                                                                         कभी डरावनी, कभी लुभावनी/  तो कभी गुमानी होती हैं/
     कभी बुझी बुझी/ तो कभी जलती होती हैं/
     कभी दीप बन जलती हैं/ तो कभी आग उगलती हैं/
    
     इनमें नूर होता है, प्यार होता है/ 
चमक होती है, दुलार होता है/
     इनमें इंसान का पूरा का पूरा किरदार होता है..... 

      तेरे  छूने  से संवर  जाऊंगा
      वर्ना  बेवक्त  बिखर जाऊंगा!
      
      मै तुझपे जान छिड़कता हूँ पर
      तुने पूछा तो मुकर जाऊंगा  !

      तू मोहब्बत से यूँ न देख मुझे
      आँख से दिल में उतर जाऊंगा!

      मैं तेरे हुस्न का दीवाना हूँ
      किसी भी हद से गुजर जाऊंगा!

      तू मुझसे प्यार का इजहार न कर
      वर्ना बेवक्त ही मर जाऊंगा !
                                        "नमन"

     
   
  
  
   

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