Tuesday 19 March 2019

हाँ ! यह चीखने का वक़्त है

हां! यह चीखने का वक्त है
चीख
जो लगभग सत्य बन गए
झूठ की 
केचुली उतार कर
उसे नंगा कर दे...

चीख
जो बहरी हो चुकी सरकार के
कान के परदे फाड़ दे..
चीख
जो संसद में पैदा कर दे
झुर झुरी
अपने आक्रोश
करुणा और पीड़ा से...
चीख
उन 100 से अधिक
स्त्रियों की
जिनका प्रतिदिन होता है
चीर हरण और बलात्कार
सरकार के कान पर
जूं तक नहीं रेंगती ...
चीख
उन युवाओं और छात्रों की
टुकड़े-टुकड़े गैंग कह कर
जिन्हें साबित कर दिया गया है
राष्ट्र विरोधी ....
चीख
छोटे छोटे व्यापारियों की
दुकानदारों की
छोटे उद्योगपतियों की
जिनका व्यवसाय हो गया है ठप
नोटबंदी से
और सरकार कह रही है
यह व्यापारी
काला धन पकड़े जाने पर
फड़फड़ा रहे हैं....
चीख
उन सैकड़ो माँओं की
जिनके बच्चे मर गए
अस्पताल में
ऑक्सीजन के अभाव में
सरकार ने कहा कि यह
मुस्लिम डॉक्टर की
लापरवाही है...
चीख
उनकी जिन्हे
मार डाला गया
पीट-पीटकर गौरक्षा के नाम पर
और संसद ताली बजाती रही
जुमलों पर....
चीख
उनकी
जिनके घर वाले और रिश्तेदार
उस समय मारे गए
रेल हादसे में
जब रेल मंत्री
बुलेट ट्रेन चलाने की बात कर रहे थे...
चीख
उस पत्नी की
जिसके पति की बलि चढ़ गई
सीमा पर
युद्धोन्माद में
और चौकीदार
विदेश यात्रा पर है....
चीख
उन चार करोड़ से ज्यादा
भारतीयों की
जिनकी नौकरी खो गई
औद्योगिक मंदी में
और सरकार जिन्हें
सलाह दे रही है
पकोड़ा तलने की....
चीख-चीख -चीख
हर तरफ से आ रही
इन चीखों से
पागल हो रहा हूँ मैं
मीडिया और सरकार ने
चीख- चीख कर
साबित कर दिया है
कि इन चीखों के लिए
पंडित नेहरू जिम्मेदार हैं !
हाँ ! यह चीखने का वक़्त है. 
हाँ ! यह चीखने का वक़्त है.
'नमन'

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