धूलिया की एक सभा में एक व्यक्ति ने विनोबा भावे से प्रश्न किया था कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भारत जर्मनी, जापान आदि का पुनर्निर्माण एक ही समय में शुरू हुआ फिर जर्मनी, जापान और यूरोप के अन्य देश प्रगति में भारत से आगे कैसे निकल गए?
विनोवा भावे ने उसका उत्तर दिया की, "1940 के दशक में जब भारत अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहा था उसी समय जर्मनी द्वितीय विश्व युद्ध लड़ रहा था. जर्मनी आक्रांता था , गलती पर था फिर भी उसकी 6 करोड़ आबादी का 50% यानी लगभग तीन करोड़ आबादी किसी ने किसी ढंग से इस लड़ाई में शामिल थी.
ठीक उसी समय भारत अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहा था परंतु भारत छोड़ो आंदोलन में भारत की कुल आबादी का 1% से भी कम लोगों ने भाग लिया. अगर स्वतंत्रता आंदोलन में भारत के हर परिवार के कम से कम एक व्यक्ति ने भाग लिया होता या एक व्यक्ति शहीद हुआ होता तो भारत आज विश्व का सबसे अग्रणी देश होता. भारतीयों को आजादी मुफ्त में मिल गई इसलिए उन्हें आजादी की कीमत नहीं पता है. यही कारण है कि वे देश के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे रहे हैं."
ठीक उसी समय भारत अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहा था परंतु भारत छोड़ो आंदोलन में भारत की कुल आबादी का 1% से भी कम लोगों ने भाग लिया. अगर स्वतंत्रता आंदोलन में भारत के हर परिवार के कम से कम एक व्यक्ति ने भाग लिया होता या एक व्यक्ति शहीद हुआ होता तो भारत आज विश्व का सबसे अग्रणी देश होता. भारतीयों को आजादी मुफ्त में मिल गई इसलिए उन्हें आजादी की कीमत नहीं पता है. यही कारण है कि वे देश के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे रहे हैं."
15 अगस्त 1947 को एक तरफ देश स्वतंत्र हुआ था दूसरी तरफ पूरे देश में कुछ लोग जुलूस निकाल रहे थे कि यह आजादी झूठी है. परंतु महात्मा गांधी ने इन लोगों को देशद्रोही नहीं कहा.
देश स्वतंत्र हुआ तो वे लोग जो तिरंगे झंडे और भारत के राष्ट्रीय गीत "जन गण मन" का विरोध कर रहे थे उनको भी महात्मा गांधी ने कभी राष्ट्रद्रोही नहीं कहा.
जिस गिरोह और विचारधारा ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी उस संगठन पर सरदार पटेल ने ताला लगवा दिया था. परंतु पंडित नेहरू ने उस संगठन को भी देशद्रोही नहीं कहा और सरदार पटेल से विनती की कि उस संगठन पर लगा प्रतिबंध हटा दिया जाए.
जिस गिरोह और विचारधारा ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी उस संगठन पर सरदार पटेल ने ताला लगवा दिया था. परंतु पंडित नेहरू ने उस संगठन को भी देशद्रोही नहीं कहा और सरदार पटेल से विनती की कि उस संगठन पर लगा प्रतिबंध हटा दिया जाए.
1962 की चीन की लड़ाई के समय जो लोग चीन की तरफ से बोल रहे थे पंडित नेहरू ने उन्हें भी कभी राष्ट्र द्रोही नहीं कहा.
राजाओं का प्रिवी पर्स बंद करने और बैंकों के राष्ट्रीयकरण से लेकर परिवार नियोजन और कंप्यूटराइजेशन से लेकर टेलीकम्युनिकेशन क्रांति तक का विरोध करने वालों को भी हमने कभी राष्ट्र द्रोही नहीं कहा.
हमने उन्हें भी कभी राष्ट्र द्रोही नहीं कहा जिन्होंने बफोर्स की खरीदी में कांग्रेस पर ₹60 करोड के भ्रष्टाचार का झूठा आरोप लगाया जो आज तक साबित नहीं हुआ और यह भी कहा कि बोफोर्स तोप आगे से नहीं पीछे से गोला दागती है .
इस झूठे आरोप की वजह से देश ने अगले 30 साल तक कोई लंबी दूरी तक मार करने वाली तोप नहीं खरीदी और अगर बफोर्स तोप नहीं रही होती तो शायद हम कारगिल का युद्ध नहीं जीत पाते, जहां बफोर्स के हर राउंड फायर के बाद भारतीय सेना राजीव गांधी जिंदाबाद के नारे लगा रही थी.
इस झूठे आरोप की वजह से देश ने अगले 30 साल तक कोई लंबी दूरी तक मार करने वाली तोप नहीं खरीदी और अगर बफोर्स तोप नहीं रही होती तो शायद हम कारगिल का युद्ध नहीं जीत पाते, जहां बफोर्स के हर राउंड फायर के बाद भारतीय सेना राजीव गांधी जिंदाबाद के नारे लगा रही थी.
2005 में मनमोहन सिंह सरकार के आने के बाद कांग्रेस कोयला खानों की नीलामी करना चाहती थी परंतु गुजरात के मुख्यमंत्री मोदी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के विरोध के कारण और यह कहने के कारण की कोयला राज्य की संपत्ति है केंद्र उसकी नीलामी कैसे कर सकता है? केंद्र सरकार कोयला खानों की नीलामी नहीं कर सकी और कोयला घोटाला हुआ.
बीजेपी नेताओं ने सफेद झूठ कहा कि कांग्रेस के नेता इस घोटाले में शामिल है. सीबीआई जांच के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो गया और सीबीआई अदालत में मनमोहन सिंह सहित कांग्रेस के सभी नेताओं को क्लीन चिट दे दी .
लेकिन कोयला खनन और बिजली उत्पादन के क्षेत्र में जिन कंपनियों ने पैसे लगाए थे उनका तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का बैंकों से लिया हुआ कर्ज एनपीए हो गया. इस तीन लाख करोड़ रुपए के नुकसान के जिम्मेदार को देशद्रोही कहा जाना चाहिए या नहीं यह मैं आप पर छोड़ता हूं.
2जी घोटाले का झूठा आरोप कांग्रेस सरकार पर लगाने वालों के मुंह तब काले हो गए जब सीबीआई जज ने यह कहा कि मैं 3 वर्ष तक रोज सुबह 10:00 बजे से शाम को 5:30 बजे तक इंतजार करता रहा कि सरकार कोई साक्ष 2जी घोटाले में प्रस्तुत करेगी परंतु न सरकार न तो अन्य किसी व्यक्ति ने कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत किए अतः 2018 में 2G केस के सारे आरोपी बाइज्जत बरी हो गए.
यह फैसला अगर कांग्रेस के शासन में हुआ होता तो आप कहते कि कांग्रेस के दबाव में हुआ है . परंतु यह जांच और फैसला मोदी शासन में हुआ.
2004 से 2014 तक एफडीआई, मनरेगा ,आधार और जीएसटी जैसी योजनाओं का विरोध करने वालों को भी हमने कभी देशद्रोही नहीं कहा. परंतु इन योजनाओं के विरोध और इनके लागू करने में हुई देरी से देश को लगभग 20 लाख करोड़ का नुकसान हुआ जो देश के 1 साल के बजट के बराबर है.
2014 तक रेल के टिकट में आठ आने की वृद्धि की घोषणा मात्र से बीजेपी के कार्यकर्ता रेल लाइनों पर उतर आते थे और रेल रोको आंदोलन करने लगते थे जिसकी वजह से रेल का विकास प्रभावित हुआ परंतु तब भी कांग्रेस ने कभी विपक्ष को देशद्रोही नहीं कहा.
यह भारत की जनता को तय करना है कि देशद्रोही आखिर है कौन?
और क्यों स्वतंत्रता के 70 वर्ष के बाद भी हम दूसरे देशों से पीछे हैं?
आपका
नमन
आपका
नमन
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