स्वतन्त्रता आंदोलन से
लेकर आज तक आरएसएस और फिर जनसंघ या बीजेपी की सोच हिंदुस्तान के बारे मे नकारात्मक
ही रही है। उसके विस्तार मे न जाते हुये कुछ महत्वपूर्ण विंदुओं पर आपका ध्यान
आकर्षित करना चाहूँगा।
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स्वतन्त्रता आंदोलन मे एक तरफ जहां महात्मा
गांधी मुस्लिम अलगाववादी ताकतों से लड़ने के लिए ‘ईश्वर अल्ला तेरो नाम, सबको सम्मति दे भगवान’ जैसे भजन गा रहे थे वहीं वीर
सावरकर ने द्विराष्ट्रवाद के सिद्धान्त का प्रतिपादन करते हुये कहा की आज़ाद
हिंदुस्तान मे मुसलमान दुय्यम दर्जे के नागरिक होंगे, उन्हे वोट
देने का कोई अधिकार नहीं होगा, वगैरह-वगैरह। हिन्दू महासभा
और आरएसएस के इन्ही वक्तव्यों से मुस्लिम लीग और जिन्ना की स्वतंत्र पाकिस्तान की
मांग को बल मिला। देश के विभाजन और धार्मिक उन्माद मे हुये कत्लेआम के जितने
ज़िम्मेवार जिन्ना थे, उतनी ही आरएसएस।
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आदरणीय लालकृष्ण आडवाणी जी ने खुद लिखा है की
आरएसएस के स्वयंसेवक 1947 मे भी ये कहते थे की देश अभी आज़ाद नहीं होगा, इसे हम बाद मे आज़ाद कराएंगे। इस
तरह ये लोग युवाओं को स्वतन्त्रता आंदोलन मे भाग लेने से रोकते थे।
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आरएसएस की विचारधारा और उनके द्वारा बोया गया विष
ही 1948 मे महात्मा गांधी की हत्या का कारण बना। (ये जलील कौम तेरी ज़िल्लत भी हमने
देख ली, सफ़ीना
तोड़ दिया जब तुझे किनारा मिला)
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महात्मा गांधी से द्वेष की पराकाष्ठा ये है की
जिन्ना को सेकुलर कहने वाले श्री लालकृष्ण आडवाणी जी के कार्यकाल मे हुयी जनगणना
प्रपत्र मे गांधी जी की हत्या को आडवाणी जी ने ‘गांधी वध’
लिखवाया। बीजेपी और आरएसएस के लिए महात्मा गांधी मानो राक्षस थे की नाथुराम गोडसे
ने उनका वध किया।
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जब स्व इन्दिरा गांधी ने राजाओं का ‘प्रीवी पर्स’ बंद किया और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया तो जनसंघ और आरएसएस, राजा महाराजाओं के साथ खड़े नज़र आए। आम जनता की भलाई से इनका कोई लेना
देना नहीं था।
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पाकिस्तानी आतंकवाद को रोकने के लिए स्व इन्दिरा
गांधी द्वारा बनाई गयी RAW की विशेष यूनिट को जनता पार्टी के शासन मे बंद कर दिया गया। इस सरकार मे
बाजपेयी जी विदेश मंत्री और आडवाणी जी कैबिनेट मंत्री थे।
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70 के दशक मे जब कांग्रेस परिवार नियोजन कार्यक्रम
पर ज़ोर दे रही थी तो जनसंघ और आरएसएस ने इसके विरोध मे झूठी अफवाहें फैलाई और 1977
मे जनता पार्टी के शासन मे परिवार नियोजन को प्रोत्साहन देना एक दम बंद कर दिया।
(अगर वह कार्यक्रम लगातार लागू रहता तो आज हिंदुस्तान की जनसंख्या 105 से 110 करोड़
के बीच होती। सबके पास घर और नौकरी होती । कोई भूखा न होता और हम एक विकसित
राष्ट्र होते)
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स्व राजीव गांधी ने अपने प्रधानमंत्रीकाल मे जब
दूर संचार क्रांति की बात की और जब सैम पित्रोदा ने कहा की अगले 10 सालों मे वे
देश के हर गाँव तक टेलीफोन पहुंचा देंगे तो बाजपेयीजी से लेकर आडवाणीजी तक ने
राजीवजी का मज़ाक उड़ाया था।
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स्व राजीव गांधी ने अपने प्रधानमंत्रीकाल मे जब
कंप्यूटर क्रांति की बात की तो बीजेपी नेताओं ने सड़क से संसद तक उनका मज़ाक उड़ाया
और कहा की कंप्यूटर आ गए तो नौकरियाँ खत्म हो जाएंगी। आज इसी IT क्षेत्र मे सबसे जादा नौकरियाँ
नौजवानो को मिल रही है।
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बीजेपी ने बिजली उत्पादन के क्षेत्र मे एनरान और
उस जैसे बिजली बनाने वाली परयोजनाओं का विरोध किया। जिससे पूरे देश मे ऊर्जा का
संकट खड़ा हो गया।
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बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व के नकारात्मक और
अड़ियल रवैये के कारण लोकपाल बिल , लोकसभा मे अब तक पारित नहीं हो पाया।
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बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व के नकारात्मक और
अड़ियल रवैये के कारण महिला आरक्षण बिल अभी तक नहीं पारित हो पाया।
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बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व के नकारात्मक और
अड़ियल रवैये के कारण Food Security Bill को पूरे देश मे
लागू करने मे अडचने आ रही हैं।
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बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व के नकारात्मक और
अड़ियल रवैये के कारण कितने ही जनोपयोगी बिल लोकसभा मे लटके पड़े हैं। बीजेपी अगर
सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाए तो सारे बिल एक दिन पारित हो सकते हैं, क्यों की अगर सिर्फ कांग्रेस और
बीजेपी के सांसद किसी बिल के समर्थन मे वोट करें तो अन्य किसी पार्टी के समर्थन की
जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
RSS और BJPके
पास न तो सकारात्मक सोच है न दूरदृष्टि है। बहुत कुछ है कहने के लिए.... पर आज
इतना ही....
आपका,
‘नमन’
(m)- 8080888988/9820787034
अंग्रेजों को भगा कर ही स्वतन्त्रता मिली है भाई। अंग्रेजों के मित्रो के हाथ मे जब जब सत्ता गई है क्या हुआ है हम देख चुके हैं।
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