Wednesday 19 May 2010

प्रिय मित्रों,
मेरे सपनों की दुनिया, मेरी कविता की दुनिया, मेरे अनुभवों की दुनिया में आपका स्वागत है!
       "आपकी बात जो अपनी जुबान से करता है,
         वो ही शायर है जो बुत को भी खुदा कहता है!
मैं इंसान को, संबंधों को. रिश्तों को, भावनाओं को पूजनेवाला , उनकी क़द्र करनेवाला व्यक्ति हूँ.
मेरा धर्म इंसानियत है, मेरा कर्म सेवा है, मेरा जीवन आपका है, आप सबका है, मेरा ब्लॉग उन्हें समर्पित है जो इंसान को सिर्फ और सिर्फ इंसान समझते है. जो लोग हमें धर्म, भाषा, मजहब  के नाम पर बाँट कर  राजनीती  की रोटी सेंक रहे है यह  छोटी सी कविता उनके  लिए........

    भले बाँट दो तुम हमें सरहदों में
    भले बाँट दो तुम हमें मजहबों में
    भले खीँच दो तुम लकीरें जमीं पर
    नहीं बाँट पाओगे दिल को हदों में !

    नहीं बाँट पाओगे तुम इन गुलों को 
    यहाँ भी खिलेंगे वहां भी खिलेंगे
    नहीं बाँट पाओगे तुम चाँद तारे
    ये यहाँ भी उगेंगे वहां भी उगेंगे !

     जहाँ तक चलेंगी ये ठंडी हवाएं
     जहाँ तक घिरेंगी ये काली घटायें
    जहाँ तक मोहब्बत का पैगाम जाये
    जहाँ तक पहुंचती हैं मेरी सदायें !

    वहां तक न धरती गगन ये बंटेगा
    वहां तक न अपना चमन ये बंटेगा
    न तुम बाँट पाओगे  मेरी मोहब्बत
    न तुम बाँट पाओगे ये दिलकी दौलत!
              भले बाँट दो तुम जमीं ये हमारी
              नहीं बंट सकेंगी हमारी दुवायें !

     कभी देश बांटे, कभी प्रान्त   बांटे
     कभी बांटी नदियाँ, कभी खेत बांटे 
     खुदा ने बनाया था सिर्फ एक इन्सान 
     मगर मजहबों ने है इंसान बांटे !
               मेरी प्रार्थना है न बांटो दिलों को
               न बोवो दिलों में ए नफरत के कांटे!!
                                                          
                                                            "नमन"

4 comments:

  1. ओम प्रकश पांडे''नमन'' जी अब हिंदी ब्लागिंग क़ी दुनिया से जोड़े जा चुके हैं .


    हिंदी ब्लागिंग करने के साथ-साथ हमारी एक कोशिस यह भी रहती है क़ि हम हिंदी से जुड़े अच्छे और सजग रचनाकारों को भी इस प्रक्रिया से जोड़ें .
    इसी कड़ी में भाई ओम प्रकश पांडे''नमन'' जी अब हिंदी ब्लागिंग क़ी दुनिया से जोड़े जा चुके हैं . आप उनके ब्लॉग http://namanbatkahi.blogspot.com/2010/05/blog-post.हटमल पर जाकर उनके विचारो से अवगत हो सकते हैं.
    मुझे पूरा विश्वाश है क़ि आप को उनका ब्लॉग जरूर पसंद आएगा . नमन क़ी बतकही में सहमति का साहस और असहमति का विवेक आप को हमेशा दिखाई देगा .
    उन्ही क़ी एक कविता आप लोगों के लिए

    भले बाँट दो तुम हमें सरहदों में
    भले बाँट दो तुम हमें मजहबों में
    भले खीँच दो तुम लकीरें जमीं पर
    नहीं बाँट पाओगे दिल को हदों में !

    नहीं बाँट पाओगे तुम इन गुलों को
    यहाँ भी खिलेंगे वहां भी खिलेंगे
    नहीं बाँट पाओगे तुम चाँद तारे
    ये यहाँ भी उगेंगे वहां भी उगेंगे !

    जहाँ तक चलेंगी ये ठंडी हवाएं
    जहाँ तक घिरेंगी ये काली घटायें
    जहाँ तक मोहब्बत का पैगाम जाये
    जहाँ तक पहुंचती हैं मेरी सदायें !

    वहां तक न धरती गगन ये बंटेगा
    वहां तक न अपना चमन ये बंटेगा
    न तुम बाँट पाओगे मेरी मोहब्बत
    न तुम बाँट पाओगे ये दिलकी दौलत!
    भले बाँट दो तुम जमीं ये हमारी
    नहीं बंट सकेंगी हमारी दुवायें !

    कभी देश बांटे, कभी प्रान्त बांटे
    कभी बांटी नदियाँ, कभी खेत बांटे
    खुदा ने बनाया था सिर्फ एक इन्सान
    मगर मजहबों ने है इंसान बांटे !
    मेरी प्रार्थना है न बांटो दिलों को
    न बोवो दिलों में ए नफरत के कांटे!!

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  2. Bade bhayi ka blog ki duniya me swagat hai /

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  3. Ji safar ki shuruat karte he, Wo manjil ko par karte he,
    Bus 1 bar chalne ka hosla rakhiye, aap jaise musafiro ko to raste bhi intzar karte hai

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  4. bhai reaiy very nice. i like it. its like i think. thanks, rajesh sinha

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